अलार्म बेल, अर्थात खतरे का घंटा - एक करोड़ हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के हथकंडों का विवरण (Alarm Bell - An Analysis of the Strategies Employed to Convert Millions of Hindus to Islam)

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अलार्म बेल, अर्थात खतरे का घंटा - एक करोड़ हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के हथकंडों का विवरण (Alarm Bell - An Analysis of the Strategies Employed to Convert Millions of Hindus to Islam)

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अलामर् बेल अथार्त

खतरे का घंटा एक करोड़ �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बनाने के हथकंड� का �ववरण

आय्यर् सा�हत्य मण्डल, अजमेर के खंडन मंडन �वभाग द्वारा प्रका�शत

प्र�तप� के षड्यंत्र से सब को समा�हत क�िजये * �हन्द ू अगर ह� आप तो इस को जरूर पढ़ ल�िजये * एक करोड़ �हन्दओ ु ं के बचाने का उपाय क�रये

॥ ओ३म ् ॥

प्रस्तावना अब तक �हन्द ू जनता म� से अ�धकांश को यह पता नह�ं है �क उनके धमर् को भ्रष्ट करने, नह�ं नह�ं, उन्ह� जड़ मल ू से हड़प करने के �लये यवन लोग छुपे 2 क्या 2 षड्यंत्र रचा करते ह�। िजन 2 चाल� से उन्ह�ने 700 सौ वष� म� अपनी इतनी वद् ं �ठत करने और ु ग ृ �ध करल� है , उन्ह�ं को अब आगे के �लये सस अ�तशीघ्र एक करोड़ �हन्दओ ु ं को मुसलमान बनाने के �लये हाल म� एक प्र�सद्ध कट्टर मौलवी ख्वाजा हसन �नजामी �दल्ल� �नवासी ने 1 पुस्तक "दाइये इस्लाम" �लखी है । इस पस् ु तक का प्रथम संस्करण बहुत ह� गप्ु त र��त से मख् ु य

2 मस ु लमान� म� बांटा गया था। सन ु ा जाता है �क उस म� अपनी धम�न्न�त के कई साधन ऐसे �लखे गये थे, िजन्ह� उन्ह�ं के धा�मर्क लोग� ने बहुत लज्जा तथा आप��जनक बताया और इस कारण अब यह दस ू रा संस्करण, िजसे

अफर�का क� मस ु लमान प्रबन्धकतर् ृ सभा क� आग्रह पर छापा गया है , बहुत सी चाल� से र�हत ह�, �फर भी �हन्दओ ु ं को भ्रष्ट करने के �लये काफ� ह�, हमारे

सामने जो प्र�त है वह दस ू रे संस्करण क� है , अतएव जो कुछ इस छोट� सी

पुस्तक म� �लखा जावेगा वह सब इसी दस ू रे संस्करण के आधार पर �लखा जावेगा। पाठकगण हमारे ख्वाजा हसन �नजामी साहब के बताये हुये उपाय� पर ध्यान द� ।

उनके सारे हथकन्ड� और दांव घात� को �हन्द ू जनता पर प्रगट करने से मेरा यह अ�भप्राय कदा�प नह�ं है �क वे सब के सब हथकडे हमारे �हन्द ू भाई भी करने लग� । मेरा यह सब कुछ �लखने का अ�भप्राय यह� है �क समस्त �हन्द ू जनता उन सब चाल� से ख़बरदार होजावे और उनसे अपनी र�ा कर सके। य�द अब भी �हन्द ू जनता ने कुछ ध्यान न �दया तो ख्वाजा साहब को अपनी

मनोरथ �सद्�ध म� कुछ भी �वलम्ब न लगेगा और अ�तशीघ्र एक करोड़ �हन्द ू

मस ु लमान बन जाय�गे।

हमारे बहुत से पाठक� ने स्कूल व पाठशालाओं म� चक्रवद् ू ृ �ध ब्याज (सद

दर सद ू ) �नकालना पढ़ा होगा, �कन्तु उन्ह�ने 1) रु० का सूद दर सद ू 1) रु०

सैकड़ा सालाना के �हसाब से, एक सौ वषर् का, जो 1 लाख से अ�धक हो जाता है , �नकालने का कभी यत्न न �कया होगा, तब �फर उन्ह� कैसे अनभ ु व हो सकता है �क आज िजतने मनुष्य मस ु लमान होते है सौ वषर् बाद उनक� तादाद खतरे का घंटा | 2

क्या होगी ? एक करोड़ ख्वाजा साहब हड़पने क� �फकर म� ह� और हमारे सात करोड़ अछूत� को दे श के अन्य मल् ु ला लोग अपने जाल म� फँसाने के उपाय सोच रहे ह�। अब पाठकगण सोच� �क उनका क्या कतर्व्य है ? य�द ख्वाजा साहब क� बताई हुई समस्त तरक�ब� को हमारे पाठकगण कंठस्थ कर ल� और उनसे सचेत रहने के �लये समस्त �हन्द ू जनता को उद्यत कर दे तो म� अपना अहोभाग्य समझता हुआ अपना प�रश्रम सफल जानूंगा।

यहां पर एक बात और �लख दे ना उ�चत है �क इस पुस्तक म� 'दाइये

इस्लाम' का �बलकुल शब्दाथर् नह�ं �कया गया, कह�ं 2 केवल आशय ह� ले �लया गया है और कह�ं उन्ह�ं के शब्द ज्य� के त्य� �लख �दये ह� िजस म� पाठक� को समझने म� सरलता हो। भ�ू मका समाप्त करने के पूवर् इतना और �नवेदन करना आवश्यक है �क ख्वाजा साहब का यह �लखना, �क वे �हन्द ू मस ु �लम एकता के प्रेमी ह�, और �कसी द्वेष से इस पुस्तक को नह�ं �लखा, कहां तक ठ�क है यह तो पाठकगण स्वयम ् जान ल� गे, पर हां, म� काँग्रेस का सभासद् होता हुआ यह अवश्य बता दे ना चाहता हूं �क मेरा अ�भप्राय इस पस् ु तक को �हन्द� म� प्रका�शत करने से

मस ु लमान� के प्र�त घण ृ ा उत्पन्न करने का नह�ं है , �कन्तु ख्वाजा साहब के बताये हुए हथकण्ड� से अपने �हन्द ू भाइय� को केवल सचेत करने मात्र का है ।

-लेखक

3 | अलामर् बेल

धन्यवाद आय्यर्-सा�हत्य-मण्डल, िजसको गभर् ह� म� बहुत से सज्जन� ने स्वागत �कया

था, इस पस् ु तक क� तच् ु छ भ� ट लेकर जनता के सम्मख ु उत्पन्न हुआ। इसके

संर�क� को यह भ्रम था �क कदा�चत ् इसक� टूट� फूट� भाषा तथा इसके आकार प्रकार को दे ख कर जनता कह�ं इसे दरु दरु ा न दे , �कन्तु बड़े हषर् के साथ

�लखना पड़ता है �क उसने इस नव�शशु क� तुच्छ भ� ट को बड़े प्रेम और उत्साह के साथ अपनाया और प्रथमाव�ृ � केवल 3 �दन म� हाथ� हाथ लेकर दस ू र�

आव�ृ � क� 5000 प्र�तयां के छापने के �लये उद्यत ् �कया | यह दस ू र� आव�ृ त

अभी प्रेस म� ह� थी �क इसके 3000 से अ�धक के आडर्र आ गये। इससे अ�धक उत्साहवधर्क बात सञ्चालक� के �लये क्या हो सकती है ? ऐसे अवसर पर मण्डल के संचालक� क� ओर से म� बहुत ह� �वनीत भाव से जनता को धन्यवाद

दे ता हूं।

प्रबंधक�ार् आय्यर्-सा�हत्य-मण्डल अजमेर.

खतरे का घंटा | 4

॥ ओ३म ् ॥

अलामर् बेल ् अथार्त ्

खतरे का घंटा समद्र ु म� जहाज़ तफ़ ू ान से �घर गया है , थोड़ी ह� दे र म� उसके सारे मस ु ा�फ़र� म� खतरे के घण्टे का शब्द सन ु कर खलबल� मच गई, िजन लोग� ने उस थोड़े से समय का सदप ु योग करके अपने बचाव का प्रबन्ध �कया, वे तूफ़ान से बच गये, जो अपने आलस्य, प्रमाद अथवा भय के कारण कुछ न कर सके, आज द�ु नयां म� उनक� हस्ती का पता नह�ं है ।

आज भारतवषर् म� वह� खतरे का घण्टा (Alarm Bell) बज रहा है और पुकार 2 कर आने वाले खतरे क� चेतावनी दे रहा है , �फर भी अचेत रहकर य�द कोई सज्जन समय या �कसी व्यिक्त �वशेष को दोष दे ते रहे तो यह उनका दोष होगा। इस�लये सावधान हो जाइये, �हन्दरू ू पी जहाज़ इस समय, चार� ओर से तफ़ ू ान से �घर गया है । अब समय आलस्य, प्रमाद अथवा भय के कारण व्यथर् बरबाद करने का नह�ं है । 7, 8 सौ वष� म� आपने अपने करोड़� लाल दस ू र� को दे �दये। �कसी समय आप क� सम्प�� 33 करोड़ थी और आप को 33 को�ट (करोड़) दे वता के नाम से पुकारा जाता था, अब आप 22 करोड़ रह गये, इस म� से 7 करोड़ अछूत� को आप से जद ु ा करने और �वधम� बनाये जाने क� जो छुपी 2 कायर्वा�हयां बहुत काल से हो रह� ह�, उन्ह� इस समय �लखने क� आवश्यकता नह�ं है , अ�धकांश पाठकगण उन्ह� जानते ह� ह�गे। इस समय उस मार-काट और लट ू खसोट का भी िज़कर नह�ं �कया जावेगा, जो आये �दन मस ु लमान� के �लये एक साधारण सी बात हो गई, िजसक� आग द��ण म� मलाबार से लगाकर पिश्चम म� मल ु तान और उ�र म� अमत ृ सर, सहारनपुर तथा मध्य म� अजमेर,

आगरा, ग�डा और शाहजहांपरु तक पहुंच गई है , यहां पर उस खतरे का भी

उल्लेख नह�ं �कया जावेगा, िजसके कारण �यरोग के रोगी क� ना� (तरह)

5 | अलामर् बेल

�हन्द ू जा�त �दन प्र�त�दन धीरे 2 कम होती जाती है और �नत्यप्र�त बी�सय� �हन्द ू �वधवाय�, बच्चे तथा युवक छुपे 2 �वधम� �कये जाते ह�। �नस्संदेह उपरोक्त �लखे हुए सब खतर� से भी �हन्द-ू जनता को सचेत रहना चा�हये, पर ये सब रोग तो �य क�

ना� उस पर बहुत प�हले से �चमटे हुए ह� और उसे

धीरे 2 जजर्�रत कर रहे ह�। इस समय जो बहुत भार� खतरा है और िजसका

वणर्न इस पुस्तक म� �कया जावेगा, वह ख्वाजा हसन �नज़ामी सा० क� �कताब "दाइये इस्लाम" है । यद्य�प उसम� बताये हुए हथकन्ड� का प्रयोग तो मस ु लमान लोग बहुत वष� पूवर् से कर रहे ह�, पर अब उन तरक�ब� को संग�ठत रूप से

कायर् म� लाया जा रहा है और उनके द्वारा अ�तशीघ्र एक करोड़ �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बनाने क� घोषणा क� गई है , इस�लये उन सब तरक�ब� को जानना और उनसे अपने और अपने भाइय� को बचाना प्रत्येक �हन्द ू का क�र्व्य है । ऐ �हन्द-ू जा�त के राजे महाराजाओ, सेठो, साहूकारो, वक�लो,

बै�रस्टरो, आफ�सरो, बाबु, नवयुवको, �वद्या�थर्यो और स्त्री पुरुषो ! क्या आप अपने धमर् के �लये कुछ भी जोश नह�ं है ? क्या आप अपने धमर् का प्रचार नह�ं कर सकते ? य�द प्रचार करके अपने धमर् क� वद् ृ �ध नह�ं कर सकते तो क्या अपनी मौजूदा बची खुची पूंजी क� र�ा भी नह�ं कर सकते ? य�द कर सकते ह�

तो कब और �कस क� प्रती�ा है ? य�द अभी तक कुछ �नश्चय नह�ं �कया तो

ख़्वाजा सा० क� बताई हुई सब तरक�ब�, जो नीचे �लखी जाती ह�, बड़ी सावधानी

के साथ एक एक करके पढ़ जाइये और �फर �नश्चय क�िजये �क क्या आप का क�र्व्य है ।

ख़्वाजा साहब ने अपनी �कताब 'दाइये इस्लाम' म� वे �हकमत�, िजनके द्वारा इस्लामी धमर् का प्रचार �कया जा सकता और मुसलमानी मज़हब का प्रलोभन �दया जा सकता है , के वणर्न करने के पूवर् 'इस्लाम धमर् क� आवश्यकता पर जो कुछ उस क� प्रशंसा करते हुए �लखा है , वह हमारे पाठक� के �लये अ�धक रोचक नह�ं है , अतएव उसे छोड़ता हुआ "�बरादर� के बल" पर जो कुछ ख्वाजा सा० ने �लखा है वह नीचे दे ता हूं।

पाठकगण पुस्तक पढ़ते समय यह ध्यान रक्खै �क ब्रैकेट म� जो वाक्य

�लखे गये ह� वे लेखक के ह� और मोटे अ�र� तथा कामा के भीतर बन्द �कये हुये ख्वाजा सा० के वे वाक्य ह� िजन पर �वशेष �वचार करना चा�हये।

खतरे का घंटा | 6

�बरादर� का बल "जो मस ु लमान आगरा व मथुरा म� मलखान� को आय्यर् बनने से बचाने म� लगे ह� या वे मस ु लमान जो आगे राजपत ू � या दस ू र� नौमस ु �लम जा�तय� म� काम करना चाहते ह� उन्ह� यह बताना आवश्यक है �क �हन्द ू जा�तय� म� इस्लाम का प्रचार उनक� बुराई बताने या (�मयां साहब को अपनी �नबर्लता मालम ू हो गई) शास्त्राथर् करने से नह�ं हो सकता, इसके �लये दस ू र� तदबीर� ह� और उनम� से एक �बरादर� का बल है "। "प�हले इस्लामी मल् ु क� म� भी जमाअत� और क़बील� ने मस ु लमानी धमर् नह�ं स्वीकार �कया था और बड़े 2 झगड़े होते थे, �कन्तु जब कुरै श ने इस्लाम

स्वीकार �कया तो हज़ार� आदमी स्वयं आकर मस ु लमान बने”। "यह� हाल �हन्दओ ु ं का है चाहे बड़ी जा�त के ह� चाहे छोट�, य�द उनके प्र�तिष्ठत लोग मस ु लमान हो जाय� तो �फर उन के आधीन सभी हो जाव� गे। इस�लये मलखाना राजपत करना चा�हये"। ू � म� जो पक्के मस ु लमान ह� उनको इस काम म� अगआ ु "आय्यर् समाज को भी सफलता इसी प्रकार हुई है । उन्ह�ने �हन्द ू राजपूत

रईस� को �मलाया है और रईस �बरादर� क� शान से मलखाने राजपूत� को

मस ु लमान� के अत्याचार� के मनघड़न्त �क़स्से सन ु ाकर कहते ह� �क य�द तुम इस्लाम छोड़ दो तो हम तुम को अपनी �बरादर� म� �मला ल� गे और तुम से शाद� ब्याह भी करने लग� गे”। "इसका उ�र मस ु लमान� को यह दे ना चा�हये �क लालखानी वगैरह मस ु �लम

राजपूत

सरदार�

को,

जो

अल�गढ़,

बुलन्दशहर,

मथुरा,

आगरा,

सहारनपुर और मज ु फ्फ़रनगर वगैरह म� आबाद ह� और बड़ी 2 जागीर� के मा�लक ह� और उनम� से कोई 2 बहुत पढ़े और जोशीले मस ु लमान ह�, बुलाव�

और उनको मलखान� म� ले जाव� और ये सरदार केवल इतना कह द� �क य�द तुम इस्लाम म� रहोगे तो हम सब तुम से �बरादर� का सा लेनदे न करने लग� गे, बिल्क मस ु �लम राजपूत� के अलावा दस ू र� जा�त के मस ु लमान रईस� को भी बुलाना चा�हये और मलखान� को �नश्चय कराना चा�हये, �क इस्लामी �बरादर� बहुत बड़ी है और मलखान� को शाद� ब्याह म� कोई क�ठनता न होगी" (इतने सौ वष� क्य� नह�ं स�ु ध ल� ?)

7 | अलामर् बेल

"म� जानता हूं �क यह �हकमत आयर् समाज को मालम ू है और राजपूत

�रयासत� भरतपुर व कश्मीर वगैरह इनके असर को मान चुक� ह� और दस ू र� �रयासत� भी इसम� उनको मदद दे ने को तैयार ह� �फर भी मझ ु े मस ु लमान� क� सफलता �नश्चय है , क्य��क मस ु लमान� का वादा सच्चा होगा और आय्य� के

वादे सच्चे और असल� न ह�गे, कुछ �दन के बाद जब राजपत ू दे ख�गे �क आयर् बनाते समय तो सबने हमारे हाथ का हलआ खाया था, अब शाद� ब्याह म� ु

हमारा कोई साथ नह�ं दे ता (सैकड़� शाद� ब्याह हो गये और धड़ाधड़ हो रहे ह�) तो वे दब ु ारा इस्लाम क� ओर झक ु पढ़� गे, क्य��क इनके यहां बराबर� का वतार्व नह�ं है और जात पांत के बन्धन बहुत कड़े ह� (ख्वाजा साहे ब आप सोते ह� या

जागते ? ज़रा �हन्द ू बनकर दे �खये तो सह� �क �हन्दओ ु ं ने �कतना सरल तर�क़ा रक्खा है ) और मस ु लमान इस झगड़े से पाक ह� " "मै जानता हूं �क �हन्दस् ु तान म� नौमस ु �लम� म� अब भी नीच ऊंच जात

का भेद जार� है , �कन्तु यह भेद जल्द उलमा लोग, �मटा सकते ह� (यानी मलखाने राजपूत� म� भी नौमस ु �लम चमार व भं�गय� के साथ शाद� ब्याह व लेन दे न करने के �लये तय्यार कर सकते ह�), �कन्तु �हन्दओ ु ं के भेद को आय्यर् समाज नह�ं �मटा सकता (�मटा �दया) इसको म० गांधी जी भी दरू न कर सके"। "पस ज़रूरत है और बड़ी ज़रूरत है �क मसले �बरादर� पर इस्लाम क� सब सभाय� व उलमा अच्छ� तरह से �वचार कर� , व्याख्यान� और शास्त्राथर् से अ�धक इसका प्रभाव न पड़ेगा”। (अब शास्त्राथर् से घबराते ह�) "अभी हाल म� �हज़ हाइनेस सर आगा खां ने अपने लाख� �हन्द ू चेल� को मस ु लमान बनने को कहा मगर जा�त के बन्धन के कारण उनके हुक्म को खुदाई हुक्म मानते हुये भी मस ु लमान न बने, य�द मस ु लमान लोग उन्ह�

अपनाव� और उनक� शाद� ब्याह का वादा कर� तो आज बीस लाख आगाखानी �हन्द ू खल् ु लमखल् ु ला मस ु लमान बन जाव� "। "जमइयतउल उल्मा को एक �वशेष सभा करके इस मसले को हल करना चा�हये, य�द वह हल हो गया और मस ु लमान क़ौम क� है �सयत से इस ज़रूरत को समझ गये तो एक करोड़ �हन्द ू इस्लाम म� �मल जाव� गे"। " म� यह नह�ं कहता �क नसल वगैरह के खयाल को �बलकुल उड़ा �दया जावे, न म� यह

चाहता हूं �क डा० गोर क� राय के अनस ु ार हर क़ौम म� मस ु लमान शा�दयां करने

लग� , मेर� इच्छा तो केवल इस बात क� है �क शरह के हक़ क� र�ा करके खतरे का घंटा | 8

असल� शान को दृढ़ �कया जावे ता�क नौमस ु �लम� को �ात हो �क उनक� �बरादर� बहुत बड़ी है और आपस क� हमदद� �हन्दओ ु ं से इन म� अ�धक है "।

"शाद� करने के �लये तो हर �बरादर� या उसके पास के नसल वाले

आपस म� समझौता कर सकते ह�, या जमइयत उलमा उनको उ�चत सलाह दे सकती है , अलब�ा मेलजोल और शा�दय� म� शा�मल होना ज़रूर चा�हये” (क�हये ख़्वाजा सा० अब क्य� बगल� झांकते ह� ? क्या चमार भंगी मस ु लमान हो जाव� तो आप लोग उनसे शाद� ब्याह व लेन दे न का व�ार्व कर� गे ? य�द नह�ं तो �फर �वचार� को क्य� धोखा दे ते और �हन्दओ ु ं को बदनाम करते ह� ?) "आगाखानी व बोहरे आ�द बहुत से ऐसे मस ु लमान ह� जो मस ु लमान� क�

क़ौम से अलग रहते ह�, य�द उनसे प्रेम कर� तो वे भी हमार� ओर जाय�गे और इससे हमार� ताक़त चौगुनी हो जावेगी”। "ऐसे मौके पर जब �क सर आगा खां ने अपने (�हन्द)ू चेल� को मस ु लमान� क� ओर झुकने का हुक्म दे �दया है , जमइयत उलमा का फ़ज़र् है �क वह भी मस ु लमान� को इस जमाअत से मेलजोल करने के �लये सलाह दे " |

"सारांश यह �क मस ु लमान प्रचारक� को �बरादर� के बल पर ध्यान दे ना चा�हये िजसम� आय्यर् समाज क� चढ़ाई का सरलता से रद्द हो सके"।

आशा और भय “प्रत्येक मज़हब आशा और भय पर �नभर्र है , मस ु लमान प्रचारक� को भी आशा और भय रखना चा�हये, �हन्दओ ु ं का डर और आशा द�ु नयां क� वस्तुओं पर है , �कन्तु मस ु लमान� को आशा है तो खुदा से और डर है तो खुदा से इस भेद को मस ु लमान फ़क�र� ने जाना है इसी कारण उन्ह�ने करोड़� �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बना �लया"। "आय्यर् समाज के पास आशा या डर नह�ं है , उनके यहां अच्छे व्याख्यानदाता और शास्त्राथर् करने वाले ह� मगर आध्याित्मक शिक्त वाले कोई नह�ं ह�, हां सनातनध�मर्य� म� ह� मगर उनके साधु �कसी को अपने धमर् म� शा�मल नह�ं करते" (इसी कारण तो करोड़� �हन्द ू मस ु लमान हो गये पर अब वे आपक� चाला�कय� से सचेत हो रहे ह�)।

9 | अलामर् बेल

“मस ु लमान� म� लाख� फ़क�र ह� उनक� आित्मक शिक्त क� घर 2 चचार् है और अनग�णत �हन्द ू उनके प्रभाव म� ह�। आय्यर् या ईसाई चाहे िजतनी को�शश कर� �हन्द ू लोग� के �दल� से आशा और डर दरू नह�ं हो सकता। इस बात को नई रोशनी के लोग भी दरू नह�ं कर सकते। हज़ार� पढ़े �लखे �हन्द ू व मस ु लमान फ़क�र� क� आित्मक शिक्त के कायल ह�। एक आदमी के औलाद नह�ं होती हर प्रकार के इलाज करके वह थक जाता है , अन्त म� �कसी मस ु लमान फ़क�र क� दआ या जंत्र से लड़का हो जाता है , तो �फर चाहे िजतना आय्यर् समाजी या ु ईसाई उसे मना करे , वह कभी नह�ं मानेगा, क्य��क उसका �नश्चय हो जावेगा �क य�द म� उस फ़क�र क� बात न मानूंगा तो मेरा लड़का मर जावेगा”। "एक बीमार सब इलाज करके थक जाता है , कुछ लाभ नह�ं होता, �फर

�कसी मस ु लमान फ़क�र के पास जाता है और अच्छा हो जाता है । भला �फर कैसे उसका उस पर �वश्वास न हो, वह डरे गा �क (मस ु लमान होने से) इन्कार करने से दब ु ारा बीमार हो जाऊंगा"। (�नश्चय इस प्रकार के जाल रचकर बहुत से मस ु लमान फ़क़�र �हन्दओ ु ं

को ठगा करते ह� और हज़ार� �हन्दओ ु ं को अपने जाल म� फंसा लेते ह�, �कन्तु

शीघ्र ह� उनका भांडा फूट जाता है और दोन� अपने 2 �कये का फल भोगते ह�, य�द म� उन सब �कस्स� को �लखूं, जहां मस ु लमान फ़क़�र� ने इस प्रकार के जाल फैलाये, और हज़ार� रुपया लट ू खसोट कर चलते बने, सैकड़� �हन्दओ ु ं ने अपना धमर्भ्रष्ट �कया, रुपये खोये तब उन्ह� पता लगा �क ठ�क बात क्या है , तो बड़ी पोथी बन जावे। अतएव बहुत से �क़स्से न �लखकर एक ह� �लखता हूं–

िज़० रायबरे ल� के एक ग्राम म� एक �मयां साहब बैठ गये और यह मशहूर �कया �क केवल उनके हाथ का पानी पीने से सब बीमा�रयां दरू हो जाती ह� और

आदमी मह ु मांगी मरु ाद� पाते ह�। भीड़ लगने लगी, थोड़े ह� �दन� म� हज़ार� का जमघट होने लगा, रात �दन एक मेला सा लगा रहता, बड़े 2 पं�डत, �तलकधार� आते और उनके हाथ का पानी पीते, हज़ार� रुपये चढ़े , सब कुछ �हन्दओ ु ं ने

खोया, कई मास बाद उन फ़क़�र �मयां क� अस�लयत खल ु �, उनके असल� नाम का पता लगा, कई साल से उनके नाम, वारन्ट था, अतएव वह �गरफ्तार �कये गये। समाचार पत्र पढ़ने वाले इस प्रकार के एक नह�ं सैकड़� �क़स्से पढ़ चुके ह�गे और अब भी कभी 2 पढ़ते ह� ह�गे)

खतरे का घंटा | 10

"ग़रज़ और सैकड़� काम द�ु नयां म� ह� िजनक� आशा से �हन्द ू लोग मस से ु लमान फ़क़�र� के पास जाते ह� बड़ी श्रद्धा रखते ह� और उनक� बददआ ु सदा डरते रहते ह�"। "कोई माने या न माने यह शिक्त केवल फ़क़�र� म� ह� होती है और यह आय्यर्समाज या ईसाई �मशन के लोग� म� नह�ं होती "इस�लये आगे चलकर म� उन �हकमत� व तरक़�ब� को बयान करूंगा जो आशा और भय के आधीन ह� और य�द उन्ह� �नय�मत रूप से काम म� लाया जावे तो करोड़� आदमी मस ु लमान हो सकते ह�। कुछ वष� से मस ु लमान फक़�र� ने मस ु लमान बनाने का काम छोड़ �दया है "।

(पाठकगण ! उपरोक्त काम� के भीतर बन्द ख्वाजा सा० के वाक्य� को ध्यान पूवक र् प�ढ़ये, �कस प्रकार से आशा का प्रलोभन और भय �दखा कर ख्वाजा सा० अपना मतलब पूरा करना चाहते ह�) "अब म� उन सब तरक़�ब� क� सच ू ी नीचे दे ता हूं"।

धमर् क� वे �हकमत� िजनके द्वारा इस्लामी प्रचार �कया जा सकता है 1– तािज़ये और मोहरर् म क� रसम� । 2– हज़रत अल� और हज़रत इमाम हुसेन क� शोहरत |

3- हज़रत बड़े पीर क� ग्यारहवीं और उनक� करामात� ।

4- जी�वत पीर� क� करामात� और 'दआ ु ओं के तासीर क� शोहरत। 5- जी�वत पीर� क� दआ से बे-औलाद� के श्रौलाद होना या बच्च� का जी�वत ु रहना या बीमा�रय� का दरू होना या दौलत क� वद् ृ �ध या मन क� मरु ाद� का

पूरा होना।

6– बददआ ु ओं (शाप) का भय। 7– अपने मनोरथ म� तबाह� का डर। 8- वबा, अकाल या और �कसी दै वी आप�� आने का भय। 9– अज़ान का अ�भप्राय बताना और जगह 2 उसका �रवाज दे ना। 10– �गरोह के साथ नमाज़ पढ़ने का �रवाज दे ना और उसक� अच्छाई का प्रचार करना। 11 | अलामर् बेल

11- �गरोह के साथ नमाज़ ऐसी जगह पढ़ना जहां उनको दस ू रे धमर् के लोग भल� प्रकार से दे ख सक�। 12– मस ु लमान� म� जो बराबर� का वतार्व काय्यर्रूप म� जार� है उसक� अच्छाइयां को बताना। 13– खाने, नमाज़ पढ़ने और शाद� �ववाह� म� मस ु लमान� के छोटे बड़े सब आद�मय� म� बराबर� का वतार्व होना और नीची जा�तय� को बताना �क ईसाइय� और आय्य� म� यह खूबी नह�ं है । 14– फ़ाल, रमल (शगन ु ), नजम ू (फ�लत ज्यो�तष) व जफ़र के द्वारा। 15– �हन्द ू और मस ु लमान फ़क�र� के वाक्य� को गांव� म� गाना और उन गान� का घर 2 �रवाज दे ना। 16- ऐसी मुसलमानी खबर� को फैलाना िजनसे नीची जा�त के �हन्द ू लोग� को अचम्भा हो और हर जगह उनक� चचार् होने लगे। 17- मजजब ू � (पागल�) क� बड़ 18– गाँव� और क़सब� म� ऐसे जलस ू �नकालना िजनसे �हन्द ू लोग� म� उनका प्रभाव पड़े और �फर उस प्रभाव द्वारा मस ु लमान बनाने का काय्यर् �कया जावे। 19- नीच जा�त के �हन्द ू लोग� के बीमार� का बड़े प्रेम के साथ इलाज करना और उन्ह� बराबर� का दजार् दे कर उनका हमददर् होना। 20– चमार या भंगी य�द मस ु लमान बन� तो उनके साथ बड़े 2 मस ु लमान� को लेकर बड़े मजम� म� खाना खाना व गले �मलना और पास �बठाना। 21- समाचारपत्र� म� नीच जा�त के �हन्दओ ु ं क� मदद करना, िजन्ह� बड़ी जा�त के �हन्द ू घण ृ ा क� दृिष्ट से दे खते ह�।

22- गाने वाल� को ऐसे 2 गाने याद कराना और ऐसे 2 नये 2 गाने तैय्यार

करना िजनसे मस ु लमान� म� बराबर� के वतार्व क� बात� व मस ु लमान� क� करामात� प्रगट ह� और उच्च जा�त के �हन्दओ ु ं के बुरे व्यवहार� का भी िज़कर होवे जो वे नीच जा�तय� के साथ करते ह� और िजनसे नीच जा�त के लोग� को दःु ख होता है और उनक� बेइज्जती होती है । 23– मस ु लमान फ़क़�र� को ऐसे छोटे 2 वाक्य याद कराये जाव� , िजन्ह� वे �हन्दओ ु ं के यहां भीख मांगते समय बोल� और िजनके सन ु ने से �हन्दओ ु ं पर इस्लाम क� अच्छाइयां और �हन्दओ ु ं क� बरु ाइयां प्रगट ह�। 24– �हन्दओ ु ं क� शाद� गमी म� प्रेम के साथ सिम्म�लत होना और �वशेष कर नीच जा�त के �हन्दओ ु ं से मेलजोल और बराबर� का वतार्व करना।

खतरे का घंटा | 12

25– चमार, भङ्गी और सब नीच जा�त के �हन्द ू लोग� क� मज़हबी बात� को जानने क� को�शश करना और मस ु लमान प्रचारक� को उन्ह� छोट� 2 �कताब� द्वारा बताना। 26– �हन्द ू या नौ-मस ु �लम लोग� के सामने अपने आपस के झगड़� को छुपाना और आपस के मतभेद क� बात� को प्रगट न होने दे ना। 27- अंग्रेज़� के मल् ु क� प्रबन्ध से �श�ा ग्रहण करना यानी िजस प्रकार वे मल् ु क� पर कब्जा करते ह�, उन्ह� ध्यान पव र् दे खकर इस्लाम धमर् के प्रचार म� उन्ह� ू क वतर्ना | 28– ईसाई �मशन क� प्रत्येक बात� पर ध्यान दे ना और उनक� प्रत्येक बात से खबरदार रहना और उनक� िजन 2 बात� से अपने प्रचार म� मदद �मले, उन्ह� अपने यहां जार� करना। 29– आय्यर् समाज के प्रत्येक गप्ु त व प्रगट आन्दोलन से खबरदार रहने के �लये रात �दन प्रयत्न करना और उनक� कोई बात अपने यहां लेने के योग्य हो तो उसे अपने प्रचार म� सिम्म�लत करना। 30– दस ू रे धमर् व उनके धा�मर्क नेताओं को बरु ा न कहना और �कतना ह� जोश क्य� न �दलाया जावे पर सदा जब्त से काम लेना। 31– शास्त्राथर् केवल उसी दशा म� करना जब �बना �कये काम न चलता हो, जहां तक सम्भव हो शास्त्राथर् क� बात को टाल दे ना और अपना काम चुपचाप करना। 32- समाचारपत्र� म� मस ु लमान बनाने के तर�क� और अपनी सफलता के समाचार� को कभी न छपाना और य�द आवश्यकता पड़े तो ऐसे ढं ग से छपाना िजनसे इस्लामी �हकमत� और तदबीर� का भांडाफोड़ जनता म� न हो। 33- इस्लामी धमर् प्रचारक� को मान, प्र�तष्ठा र�हत होना चा�हये और प्रचार म� कोई धोखे का काम न करना चा�हये। 34- जहां तक हो ऐसी बात� सोचना िजनम� धन कम व्यय हो और प्रचारक लालच म� न फंस जाव� । 35- आगाखानी �मशन क� �हकमत� को मिु स्लम प्रचारक� को बताना और य�द आवश्यकता हो तो �बना �कसी तास्सव ु के उनको अपने काम� म� शा�मल करना। 36- क़ा�दयानी ढं ग� से लाभ उठाना और उन्ह� भी अपने काम� म� ज़रूरत पड़ने पर सिम्म�लत करना। 13 | अलामर् बेल

37- मस ु लमान� के अन्दर िजतने भी �फ़रके ह� उन सब को �बना �कसी तास्सव ु के इस्लामी धमर् प्रचार म� सिम्म�लत करना और एक केन्द्र बनाकर प्रचार के काम� म� उस केन्द्र के प्रबन्धक� क� आ�ा पालन करना। 38- समस्त इस्लामी प्रचारक� को इस्लाम क� शरह का पाबन्द रहना। 39- अपने प्रयत्न� और �हकमत� को खद ु ा क� मदद पर छोड़ना और हर समय अपनी सफलता पर �वश्वास करना, �कसी कष्ट से न घबराना, और अन्त म� उनका बदला �मलेगा, इस पर �वश्वास करके सार� क�ठनाइय� को झेलना, य�द इस्लामी धमर् प्रचार म� कोई ऐसी �हकमत करना पड़े जो सच्ची न हो और उस म� अपना कोई स्वाथर् हो तो उसे छोड़ दे ना और खुदा से माफ़� मांगना। (इससे �सद्ध होता है �क अपना स्वाथर् न हो तो झठ ू � �हकमत� भी करना चा�हये) | 40- इस्लामी धमर् प्रचार के �लये समाचार� को इकट्ठे करने और उन्ह� सब जगह पहुंचाने के �लये एक �वभाग �नयत करना।

जासूस �वभाग 2 - इस्लामी धमर् का समाचार �वभाग और उसके क�र्व्य का �ववरण 1– ईसाइय� के िजतने और जहां 2 �मशन ह� उन के पूरे �ववरण महकमे आला मे रहने चा�हये। 2– आय्य� क� िजतनी और जहां 2 समाज� ह� उन क� भी पूर� तफ़सील महकमे आला म� रहनी चा�हये। 3- मस ु लमान� के इतर और िजतनी धा�मर्क संस्थाय� ह� उन सब के समाचार और �ववरण उसी महक्मे आला म� होने चा�हये। 4- ईसाई, आय्यर् और अन्य धमार्वलिम्बय� के प्रचार के सारे साधन� को जानना चा�हये और उनक� सच ू ी उपरोक्त दफ्तर म� रखनी चा�हये। 5- �कसी प्रान्त, शहर, कसबा, अथवा ग्राम म� कोई ऐसी बात हो िजससे इस्लाम को हा�न पहुंचे तो उस जगह के जासस ू � को अपने प्रान्त के जासस ू � के

आफ़�सर के पास खत भेजना चा�हये और उस महक्मे आला को शीघ्र सच ू ना दे ना चा�हये। खतरे का घंटा | 14

6– यह �वभाग तार तथा �चट्�ठय� के �लये छुपे हुये संकेत �नयत करे और उन्ह�ं संकेत� द्वारा समाचार भेजे और मंगाये जाया कर� । �कन्तु यह काम क� उन्न�त पर होना चा�हये आरम्भ म� नह�ं। 7– �कसी गैरमिु स्लम या नौमिु स्लम जा�त म� ईसाई या आय्य� का कोई प्रचारक जावे और वहां इस प्रकार का कोई कायर् आरम्भ करे तो अ�तशीघ्र उस जगह के जासस ू को अपने महकमे म� सच ू ना दे नी चा�हये। 8- �कसी जगह र�ा या प्रचार क� आवश्यकता हो तो खु�फया लेखक को स�ू चत करना चा�हये। 9- जहां र�ा या प्रचार का काम करना हो वहां जासस ू �वभाग को अपने आदमी �नयत करने चा�हय�, जो वहां के रहने वाल� के �वचार, रसम और �रवाज से जानकार� रखते ह�। 10- प्रयत्न करना चा�हये �क मस ु लमान �बना कुछ �लये यह सब काम कर�

और य�द खचर् क� कह�ं आवश्यकता पड़े तो बहुत थोड़ा व्यय करना चा�हये। अंग्रेज़ी जासूस �वभाग क� तरह अंधाधुन्ध व्यय न �कया जावे।

11– अंग्रेज़ी ख�ु फया प�ु लस और साधारण प�ु लस वाल� से छुपे छुपे यह तय कर लेना चा�हये �क इस्लाम धमर् के �वरोध म� �हन्दओ ु ं क� सब बात� और उपाय� को वे अपने महक्मे को बता �दया कर� या अपने जासस ू उनके पास जाकर सब भेद ले �लया कर� । 12– खु�फया और साधारण पु�लस के समस्त मस ु लमान अहलकार� को चा�हये �क य�द हमारे महक्मे के जासस ू � को भेद दे ना मन ु ा�सब न समझ� तो सीधे हमारे समाचार �वभाग के आलादफ़्तर को सार� ख़बर� �दया कर� और परलोक का फल प्राप्त कर� । (सरकार को उपरोक्त दोन� पैर� पर �वशेष ध्यान दे ना चा�हये) 13- मस ु �लम प्रचारक� के चाल चलन क� भी पूर� �नगरानी रखनी चा�हये, जासस ू हर समय इसका ध्यान रक्ख�, �कन्तु अपनी �नजू अदावत के कारण �कसी को बदनाम न कर� नह�ं तो खुदा के सामने उन्ह� जवाब दे ना होगा और महकमे आला के सामने भी उस खबर के सच न होने पर लज्जा उठानी पड़ेगी। 14– ईसाइय� व आय� के केन्द्र� या उनके ल�डर� के यहां से उनके खानसामाओं, बहर�, कहार�, �चट्ठ�रसाओं, कम्पाउन्डर�, भीख मांगनेवाले फ़क़�र�, झाडू दे ने वाल�

स्त्री

या

परु ु ष�,

धो�बय�,

नाइय�,

मज़दरू �,

राज�

(�सलावट�)

�खदमतगार� आ�द के द्वारा खबर� और भेद प्राप्त करना चा�हये। 15 | अलामर् बेल

और

(�हन्दओ ु ं को एक एक शब्द नोट कर लेना चा�हये और बचने का उपाय करना चा�हये) | 15– उनके यहां के नये 2 भेद� और काम� क� जानकार� क� आवश्यकता है , ऐसी बात� , िजनका �ान �वना उस प्रयत्न के हो सकता है , जानने क� आवश्यकता नह�ं है । 16- जो लोग यह ख़बर� लाव� उन्ह� परलोक के फल का प्रलोभन �दया जावे और य�द आवश्यकता पड़े और खबर लाने वाला मांगे तो उस खबर क� मह�ा दे खकर थोड़ा बहुत धन भी �दया जावे।

17– इलाक़� के महकमे म� केवल उन्ह�ं मस ु लमान अफ़सर� को �नयत �कया जावे, िजन्ह� अंग्रेज़ी महकमे क�, ख�ु फ़या प�ु लस का तजरु वा हो और �दल म� इस्लाम का ददर् भी रखते ह� या िजनक� योग्यता अच्छ� हो और ईमानदार भी ह�। 18- घूमनेवाले, फक�र, रम्माल, नजम ू ी (फ�लत ज्यो�तष ् बताने वाले), पागल फक�र, तावीज़ (जन्त्र) दे ने वाल, अमल करनेवाले, पटवार�, अन्धे, भीख मांगनेवाले, बने हुये गर�ब �भखमंगे, भीख मांगनेवाले स्त्री आ�द जो घर� म� जा सक�, तरकार� बेचनेवाल� स्त्री पुरुष और �हन्दओ ु ं के यहां के नौकर� से भी ख़बर� पहुंचाने का काम लेना चा�हये। (पाठक ! इन बात� को नोट क�रये)

19– इस बात का पूरा 2 ध्यान रखना चा�हये �क खबर� दे नेवाल� से �कस प्रकार क� खबर� मंगाई जाव� और उनसे ऐसे ढं ग से बात क� जावे िजससे उन्ह� कष्ट न हो और वे अपना भेद दस ू र� पर प्रकट न कर सक�, अतएव उनक� समझ और अक़ल को प�हले परख लेना चा�हये। तात्पयर् यह �क खबर� के मंगाने और पहुंचाने का काम बहुत छुपे हुये

और हो�शयार� से लेना इस्लामी धमर् के प्रचार के �लये अत्यन्त आवश्यक है , �कन्तु िजतना आवश्यक है उतना ह� क�ठन भी है , इस कारण यह काम केवल तजब ु �कार आ�फ़सर� के ह� द्वारा कराना चा�हये। नोट - उपरोक्त बताये हुये साधन� पर कुछ ट�का �टप्पणी करने क�

आवश्यकता नह�ं, पाठकगण भल� प्रकार समझ सकते ह� �क �कस प्रकार उनक� र�ा हो सकती है । कोई भी �हन्द ू ऐसा न होगा �क िजसको दफा 14 व 18 म� बताये हुये आद�मय� से काम न पड़ता हो, इन्ह�ं लोग� से नह�ं वरन ् मस ु लमान

चड़ ू ीवाल�, �बसाती, रं गरे ज़ तथा फेर� वाल� से भी रात �दन काम पड़ता है , करोड़� �हन्दओ ु ं के यहां मस ु लमान चपड़ासी, चौक�दार, कोचवान, �सपाह� तथा

खतरे का घंटा | 16

क्लकर् आ�द का काम करते ह�, इन सब के जासस ू ी और भेद� का काम करने पर �हन्द ू लोग अपनी र�ा का क्या उपाय कर सकते ह� (उन्ह� बहुत सोच �वचार कर कुछ न कुछ �नश्चय करना चा�हये)

3- प्रत्येक मस ु लमान को प्रचारक बनना चा�हये यह बड़ी भल ू है �क केवल आ�लम और बुजग ु र् लोग� पर ह� इस्लाम के प्रचार का भार रक्खा गया है , इस्लाम ने प्रत्येक मस ु लमान पर प्रचार को कायर् करना आवश्यक ठहराया है , �कन्तु बहुत से मस ु लमान अपने बल को समझते ह� नह�ं, अतएव उन्ह� यह बताना ज़रूर� है �क वे मस ु लमान बनाने म� क्या क्या काम कर सकते ह�। नीचे एक सच ू ी द� जाती है िजसके द्वारा प्रत्येक मस ु लमान अपना अपना काम �नधार्�रत कर सकता है । य�द उसके अनुसार प्रत्येक �गरोह म� प्रचार का काय्यर् आरम्भ कर �दया गया और प्रत्येक मस ु लमान ने उत्साह और सत्यता से काम �कया, तो थोड़े ह� समय म� अनग�णत नये आदमी मस ु लमान हो जाव� गे।

4- लड़ाई के दो रुख होते ह� मज़हबी प्रचार ज़बान और अमल क� एक लड़ाई है , लड़ाई म� सदा जीत ह� नह�ं होती कभी हार भी होती है । अतएव मस ु लमान� को य�द कभी असफलता भी हो तो �नराश न होना चा�हये, क्य��क प्रयत्न और प�रश्रम करनेवाल� से खुदा ने वादा �कया है , �क अन्त म� जीत उन्ह�ं क� होगी।

5 सच ू ी मुसलमान �गरोह� क� िजन्ह� काम करना चा�हये 1-

मशायख

(बुजग ु र् लोग),

2–

उलॅ मा

(पिण्डत),

3–

वा�लयान

�रयासत

(मस ु लमान नवाब वगैरह), 4- काश्तकार (�कसान), 5– दस्तकार (कार�गर लोग), 6- तजार (दक ु ानदार लोग), 7- मल ु ािज़म पेशा लोग, 8– राजनै�तक ल�डर, सम्पादक, क�व और पुस्तक� �लखने वाले लोग, 9– डाक्टर व हक�म, 10– गानेवाले, 11- भीख मांगनेवाले, 12- खबर लाने और ले जाने वाले। उपरोक्त 12 �गरोह� को �नम्नप्रकार से बांटा गया है 17 | अलामर् बेल

1. मशायख 1. सज्जादा नशीन- ये वे लोग ह� जो �कसी दरगाह के या �कसी बड़े बुजग ु र् के वा�रस या �खलाफ़त के तौर पर अ�धकार� ह�, उनम� से कोई 2 चेला भी बनाते और धमर्-उपदे श भी करते ह� और कोई 2 केवल जागीरदार होते ह� या �शष्य� क� नज़र �नयाज़ पर अपना जीवन व्यतीत करते ह� और धमर्-उपदे श नह�ं करते। ये सब लोग मस ु लमान बनाने का काम कर सकते ह�, य�द वे मरु �द बनाते और उपदे श दे ते ह� तब अपने बुजग ु � के �रवाज के अनुसार मस ु लमान बनाने का काम आरम्भ कर द� और स्वयं या अपने आधीन लोग� के द्वारा मरु �द� के इलाक़� म� , जहां �हन्द ू या नौमस ु �लम ह�, उन्ह� मस ु लमान बनाने और नौमस ु �लम� को समझाने का उ�चत प्रबन्ध कर� और प्रत्येक मरु �द (चेला) को हुक्म द� �क वे नीचे �लखे हुये काम� म� से कोई न कोई काम

अपने िजम्मे ल� । िजनके यहां मरु �द वगैरह बनाने या उपदे श दे ने का काम नह�ं होता, उनको चा�हये रुपये से मदद द� और अपने आधीन लोग� से मस ु लमान बनाने का काम ल� या स्वयं नीचे �लखे �कसी काम को अपने हाथ म� ल� ।

2. मरु �द करने वाले फ़क़�र- ये �कसी दरगाह सज्जादा नशीन नह�ं होते, �कन्तु इन्ह� मरु �द करने क� आशा होती है , उनको भी चा�हये �क अपने पीर क� आ�ानस ु ार मस ु लमान बनाने का काम कर� , अनपढ़ मस ु लमान� को रोज़ा नमाज़ और इस्लामी अक़�द� का उपदे श द� और यह भी प्रयत्न कर� �क �हन्दओ ु ं म� उनक� मरु �द� का असर पड़े, इसके �लये वे मझ ु से पत्रव्यवहार कर सकते ह�। 3. �नयाज़ व मौलद ू शर�फ़ करने वाले- ये लोग वे ह� जो

मरु �द नह�ं करते पर

उसर् करते ह�। ग्यारहवीं और मौलद ू क� मह�फ़ल� उनके यहां होती ह�, उनको चा�हये �क मज�लस� म� �हन्दओ ु ं को भी बुलाव� ता�क बज ु ग ु � का रूहानी असर उनको इस्लाम क� ओर झक ु ावे। 4. तावीज़ (जन्त्र) व गन्डे दे ने वाले- इनम� से कोई मरु �द भी करते ह� और कोई मरु �द नह�ं करते, इनको चा�हये �क जब कोई �हन्द ू इनके पास आवे तो उसको इस्लाम क� ख�ू बयां बताय� और मस ु लमान होने का लालच द� और अनपढ़ मस ु लमान� को इस्लाम क� आवश्यक बात� समझाव� । खतरे का घंटा | 18

5. घूमने वाले फ़क़�र- ये बहुत बड़ा काम कर सकते ह�, इनको दे हात� म� जाने

का अवसर प्राप्त होता है , इनका कतर्व्य होना चा�हये �क दे हात क� नीच

�हन्द ू जा�तय� को मस ु लमान� क� खू�बयां बताव� और औ�लया लोग� क� करामात� के �कस्से भी सन ु ाव� । पढ़े �लखे मस ु लमान� का कतर्व्य है �क जब कभी उनको कोई घम ू नेवाला फ़क़�र �मले तो यह मेरा (ख्वाजा साहब का) सन्दे शा सन ु ा द� ! 6. रमल, नजम ू व जफ़र का काम करने वाले- इनको मशायख के �गरोह म� इस कारण रक्खा गया है �क एक ग़ैबी काम का इनसे संबन्ध है , ये भी मस ु लमान बनाने का काम बहुत अच्छ� तरह कर सकते ह�, उनको चा�हये

�क जब अपने सवाल करने वाल� से बातचीत कर� तो मौक़ा दे खकर इस्लाम क� भी कोई बात सन ु ा द� और य�द सम्भव हो तो अपने रमल व नजूम के जवाब� को इस ढं ग से कह� �क िजससे सवाल करने वाल� पर इस्लाम का असर पड़े।

7. मजज़ब ू (कुछ 2 पागल)- इनक� बात का बहुत प्रभाव पड़ता है , मस ु लमान पाठक� को चा�हये �क जब कोई मजज़ब ू �मले तो उसको मस ु लमान बनाने

क� ज़रूरत बताव� िजसम� उसका ध्यान इस ओर जम जावे और यह अपनी बात� से कुछ काम कर सके।

2-उलमा। 1. फ़तवा दे ने वाले सन् ु नी व �शया आ�लम लोग- इनका काम र�ा व संशोधन करने का है , इनके पास जब कोई फ़तवा मांगने आवे तो एक दो बात द�न के संबन्ध क� अपनी ओर से अलग कागज़ पर �लख �दया कर� या ज़बानी उसको सन ु ा �दया कर� । 2. पढ़ाने वाले सन् ु नी व �शया- इनका काम अपने �शष्य� को रोज़ मस ु लमान बनाने के �लये उत्सा�हत करने का है और य�द कोई �हक्मत उन्ह� सझ ू पड़े तो वह भी बता �दया कर� । 3. व्याख्यानदाता- इन्ह� चा�हये �क हर जगह मुसलमान बनाने के संबन्ध म� उत्साहवधर्क

उ�ेजना

लोग�

म�

उत्पन्न

कर� ,

अनपढ़

मस ु लमान�

को

मस ु लमानी अक�दे सन ु ाय� और आपस के मतभेद क� बात� का वहां िज़कर न कर� । 19 | अलामर् बेल

4. शास्त्राथर् करने वाले आ�लम- �हन्दओ ु ं और ईसाइय� के मसल� को इन्ह� अच्छ� तरह से जानना चा�हये और एक 2 मसले म� एक 2 आ�लम को इस प्रकार से तय्यार होना चा�हये �क �फर उनका कोई मक़ ु ा�बला न कर सके यानी 1-ईसाइय� के बाप, बेटा और रूहुल कुद्स पर पूर� तय्यार� करे , 1मसीह के संबन्ध म� तैयार हो, उनक� मज़हबी बरु ाइय� के बयान करने म�

�नपुण हो, 1-आय्यर्समाज के ईश्वर, जीव व प्रकृ�त के मसले पर खूब तय्यार� करे , 1-आवागमन पर काफ� मसाला इकट्ठा करे , 1-�नयोग को ले

ले इत्या�द 2 और िजस प्रकार से आंख व कान आ�द के अलग 2 डाक्टर होते ह� उसी प्रकार शास्त्राथर् करने वाल� को भी अलग 2 एक एक �वषय म� तय्यार� करनी चा�हये। 5. मसिजद� के इमाम- इनको हर नमाज़ के बाद साधारणतया और जम् ु मा क� नमाज़

के

पश्चात ् �वशेषतया

सब

लोग�

को

मस ु लमान

बनाने

और

मस ु लमान� क� इसलाह (संशोधन) क� सरल र��तयां बताना चा�हये। 6. क़ाज़ी- इनको व्याह के समय सब इकट्ठे हुए लोग� को यह बताना चा�हये

�क �कन 2 औरत� से ब्याह करना हलाल और �कन 2 से हराम है और स्त्री पुरुष के एक दस ू रे पर क्या 2 हक़ ह�। अनपढ़ क़ािज़य� को आवश्यक मसले जानना चा�हये और “दाइये इस्लाम" के पाठक� को चा�हये �क अनपढ़ क़ािज़य� को आवश्यक मसल� के सीखने के �लये �ववश कर� ।

7. दे हाती मदरस� के अध्यापक- ये बहुत अच्छा काम कर सकते ह� (क्य��क इन

मदरस� म� �हन्द ू बच्चे भी पढ़ते ह�) इनके पास अपने धमर्-प्रचार और धमर्वद् ु लमान बनाने) के पयार्प्त साधन ह�। इनको चा�हये �क ृ �ध (यानी मस महकमे आला से पुस्तक� मंगाकर लड़क� और उनके माता �पताओं को सन ु ाय� और गांव म� जो �हन्द ू लोग ह� और �वशेषकर नीच जा�त के �हन्दओ ु ं को इस्लाम क� खू�बयां बताया कर� और मस ु लमान होने के �लये प्रोत्सा�हत कर� ।

8. द�नी इल्म पढ़ने वाले �वद्याथ�- इनको अपना कुछ समय बचाकर उसे पास

के मोहल्ल� म� इस्लाम क� खू�बयां बताने और मस ु लमान बनाने म� खचर् करना चा�हये।

9. अंग्रेजी पढ़ने वाले �वद्याथ�- इन्ह� भी कुछ समय बचाकर धमर्-प्रचार म� खचर् करना चा�हये और मस ु लमान बनने के �लये लोग� को तय्यार करना चा�हये, खबर� लाने और ले जाने का काम भी इन्ह� करना चा�हये। खतरे का घंटा | 20

10. व्याख्यान दे ने या पढ़ाने वाल� िस्त्रयां- इनको मस ु लमानी मसले िस्त्रय� म� बताना चा�हये, इससे ह� उन्ह� मस ु लमान बनाने का सबाब (फल) �मलेगा।

3. बा�लयान �रयासत। भारतवषर् म� लगभग एक सहस्र वषर् मस ु लमान� ने राज्य �कया, �कन्तु �फर भी �हन्दओ ु ं के मुक़ाबले म� मुसलमानी �रयासत� बहुत कम ह�, इससे यह स्पष्ट है �क मस ु लमान बादशाह� ने अपनी क़ौम से अ�धक �हन्द ू क़ौम के बढ़ाने

क� को�शश क� थी, �कन्तु आय्यर्समाजी लोग उन्ह�ं दानी धमार्त्मा बादशाह� को बदनाम करते ह� और कहते ह� �क मस ु लमान बादशाह बड़े ज़ा�लम थे (इसम� सन्दे ह ह� क्या है , ख्वाजा सा० ने �हन्द ू �रयासत� के अ�धक होने से जो यह नतीजा �नकाला है �क मस ु लमान बादशाह �हन्द ू क़ौम को बढ़ाने का प्रयत्न �कया करते थे �कतना हास्य, नह�ं नह�ं, लज्जाप्रद है , �हन्दओ ु ं के मल् ु क म� इतने थोड़े समय म� इतने अ�धक मस ु लमान� का हो जाना ह� उनके कट्टरपन तथा जल् ु म का प्रत्य� प्रमाण है ) �हन्द ू �रयासत� म� खुल्लम खुल्ला पं० मदनमोहनजी मालवीय के आन्दोलन से �हन्द� भाषा का हुक्म हो गया �कन्तु मुसलमान �रयासत� म�

है दराबाद व भप ू ाल के �सवाय बहुत कम रईस� को उदर् ू का खयाल है (�हन्द� का

इतना आन्दोलन करने पर भी अब तक बी�सय� बड़ी 2 �हन्द ू �रयासत� म� उदर् ू जार� है पर �कतनी मस ु लमान �रयासत� ह� जहां �हन्द� का दखल है ? ज़रा ख़्वाजा सा० जांच तो कर� , शोक है उनके इस तास्सब ु पर) ऐसे ह� मस ु लमान बादशाह� पर यह दोष लगाया जाता �क उन्ह�ने �हन्दओ ु ं को जबरन मस ु लमान बनाया, �कन्तु यह �बलकुल गलत है , य�द ठ�क होता तो आज एक भी �हन्द ू इस मल् ु क म� बाक़� न रहता, सब मस ु लमान हो जाते। �कन्तु कुछ मक़ ु ाम� के अ�त�रक्त सब जगह �हन्द ू अ�धक ह� (पाठकगण

दे �खये ख्वाजा सा० के तास्सव ु को, मस ु लमानी समय के इ�तहास आ�द सब को ख़्वाजा सा० झठ ु ला कर �दन दोपहर ह� आंख म� धूल डाल रहे ह�। अजी ख्वाजा साहब ! मस ु लमान बादशाह� ने �हन्दओ ु ं के साथ जो कुछ �कया उसके �लये

इ�तहास तथा आप लोग� का 7 करोड़ होना ह� प्रत्य� प्रमाण है , रहा यह �क एक भी �हन्द ू बाक़� न बचता, सो इसके �लये इतना ह� कहना पयार्प्त है �क, जब �क आप सब� ने एड़ी चोट� लगाकर एकदम तबल�ग इस्लाम क� घोषणा 21 | अलामर् बेल

कर द� है , तब दे खना चा�हये �क कोई �हन्द ू बचता है या नह�ं। अजी हज़रत ! यह क़ौम वह है िजस पर आप जैसे अनेक� के इससे भी बढ़कर जल् ु म और अत्याचार हुए ह� पर इसक� हस्ती नह�ं �मट�)

सारांश यह �क अवश्यकता है �क मस ु लमान �रयासत� भी मस ु लमान� के

बढ़ाने क� ओर ध्यान द� (ध्यान कब नह�ं �दया था) जब�क भरतपरु और कश्मीर वगैरह �हन्द ू �रयासत� ने खुला खुल� मस ु लमान� को �हन्द ू बनाने का काम जार� कर �दया है , (�बलकुल झठ ू व बनावट� इलज़ाम) तब मस ु लमान �रयासत� को

भी दे र न करना चा�हये (आपके �लखने से बहुत प�हले ह� मस ु लमानी �रयासत� म� बड़े वेग के साथ यह कायर् जार� हो गया है ) यह कोई राजनै�तक �वषय नह�ं है िजसम� अंग्रेजी सरकार हस्त�ेप करे , वरन यह 1 मज़हबी और �नजू बात है । म� यह नह�ं चाहता �क �रयासत� के नवाब अपनी �हन्द ू �रयाया पर कुछ

जबर कर� या इस प्रकार से उन्ह� मुसलमान बनाव� �क जो �रयाया के अ�धकार� के �वरुद्ध हो, मेर� इच्छा तो यह है �क इस्लामी �नयम� के अनुसार (तलवार स्वीकार करो या धमर्) बहुत नम� और प्रेम से उनको इस्लाम क� ओर लाया

जावे (क्या नम�, प्रेम और सच्चाई प्रगट करने पर कोई मस ु लमान बनना स्वीकार करे गा ?) इसक� सरू त यह है �क हर एक �रयासत अपने यहां 1 महकमा मस ु लमान बनाने का जार� कर� , जो तमाम �रयासत के रहने वाल� क� मज़हबी बात� पर �वचार करके मस ु लमान बनाने के उ�चत तर�क़े जार� करे । (�हन्द ू �रयासत� को इस पर गौर करना चा�हये)। �रयासत के मध्यम श्रेणी के सब कमर्चा�रय� को आ�ा दे ना चा�हये �क वे हो�शयार� और मन ु ा�सब �हक्मत� से �रयाया को मस ु लमान बनाने का प्रयत्न कर� (एक दम से �बना �कसी हथकंडे के मस ु लमान करने म� �रयाया के भड़क उठने का भय है , इस कारण ख्वाजा साहे ब ने ऐसा �लखा मालम ू दे ता है ) सब से अ�धक अछूत और नीच जा�त के लोग� को मस ु लमान बनाने के �लये प्रयत्न करना चा�हये। 1. मझ ु को अल हज़रत खुसरो दिक्खन (नवाब है दराबाद) से बहुत कुछ आशाय�

ह� और अल्ला ने उन्ह� हज़रू मारूफ़ क� सी �सफ्त द� है , वह चाह� तो सब कुछ हो सकता है (आपके �लखने क� आवश्यकता नह�ं वहां आप ह� आप हो रहा है )

खतरे का घंटा | 22

जनाब बेगम साहबा भप ू ाल को तवज्जह य�द इधर हो जावे तो बेशुमार आदमी मस ु लमान हो सकते ह� (उनक� तवज्जह इधर गई हो या न गई हो पर वहां आप का मनोरथ सफल हो रहा है ) बेगम सा०, उनके पुत्र और ओहदे दार मझ ु से अ�धक इस आवश्यकता को समझ सकते ह�। नवाब सा० भावलपरु अब्बासी नसल से ह�। अब्बा�सय� ने इस्लाम क� जो सेवाय� क� ह� वह सब को �ात ह�, समय आ गया है �क अब्बासी शहजादे अपने बुजग ु � के नाम को िज़न्दा करके �दखाव� , भावलपुर के इलाके म� मस ु लमान बनाने का बड़ा मैदान है । नवाब रामपरु , जावरा, ट�क, पालनपुर और जन ू ागढ़ आ�द को भी इस ओर ध्यान दे ना चा�हये। मझ ु े मंगरोल का�ठयावाड़ के नवाब सा० शेख जहांगीर �मयां से पूरा यक़�न है �क वह इस मैदान म� सब से अ�धक काम कर� गे। �रयासत� के नवाब� को �कस ढं ग से काम करना चा�हये, इसक� सलाह म� नह�ं दे ना चाहता, (सब कुछ बतला तो �दया अव तलवार चलवाना बाक़�

है ) क्य��क हर रईस क� �रयासत के जो हालात होते ह� उनको वे स्वयं जानते ह� और उन्ह�ं के अनुसार उन्ह� काम करना चा�हये। िजन �रयासत� के मोहदे दार� को यह �कताब �मले उन्ह� चा�हये �क वे �रयासत के हा�कम� को इसक� खास 2 बात� सन ु ा द� ।

2. दस ू र� छोट� 2 जागीर� और जमींदा�रय� के मस ु लमान मा�लक भी नवाब� के बराबर काम कर सकते ह�, अपने अधीन लोग� को जो आ�ा द� , वे परू � हो सकती ह�, अछूत और नीच जा�त के लोग� से प्रेम करके उनके बच्च� को इस्लामी ताल�म द� जावे और खुद उनको मस ु लमान होने का लालच �दया जावे और अपने असर से ईसाई और आय� को अपने इलाके म� काम करने से रोका जावे (क्या यह� आपक� ईमानदार� है ? अपने धमर् क� बात� सन ु ाइये और आय्यर् तथा दस ू र� को भी अपने धमर् क� बात� सन ु ाने द�िजये, �फर दे �खये लोग �कसे ग्रहण करते ह�) 3. �बराद�रय� के चौधर� व पंच बड़ा काम कर सकते ह� उनके अन्दर व्याख्यानदाताओं और बड़े 2 रईस� से भी अ�धक बल होता है , वे य�द चाह� तो बात क� बात म� बहुत से आद�मय� को मस ु लमान बना सकते ह�,

�बरादर� का ज़ोर बड़ी चीज़ है , उनको चा�हये �क नम� च �हक्मत के साथ

23 | अलामर् बेल

और य�द आवश्यकता पड़े तो �बरादर� का जोर �दखा कर �बना �कसी ज़्यादती के नीच जा�तय� को मस ु लमान बनाव� । 4. नम्बरदार व जेलदार- इनका प्रभाव भी मस ु लमान बनाने म� बहुत काम दे

सकता है , अपने 2 इलाक़े म� नम्बरदार और ज़ेलदार स्वतन्त्र हा�कम होते

ह�, उनको चा�हये �क इस्लाम का हक़ अदा कर� और नीच जा�तय� को मस ु लमान बनाने म� लग जाव� । 5. बड़ी 2 �रयासत� के ओहदे दार- ये एक तो अपने हा�कम� का ध्यान इधर आक�षर्त कर सकते ह� दस ू रे स्वयं भी अपने आधीन लोग� को मस ु लमान बना सकते ह�। इन पांच� �क़स्म के लोग� को अछूत और नीच जा�त के लोग� को मस ु लमान बनाने और उनके �लये मस ु �लम मकतब (पाठशालाय�) खोलने का प्रयत्न करना चा�हये। ऐ भाइयो ! हो�शयार हो जाओ, दश्ु मन तुम्हारे भाइय� को बेद�न व मरु �तद (�हन्द)ू बनाना चाहते ह� और इस्लाम तुम को पुकार कर कहता है �क उठो, मेरा हक़ अदा करो, ता�क क़यामत के �दन खद ु ा व रसल ू के सामने तम ु लिज्जत न हो, (क्या यह� अपील हमारे �हन्द ू भाई भी न सन ु � गे ? क्या मस ु लमान� द्वारा �दन दहाड़े अपनी जा�त क� लट ू होते दे खते रह� गे ? म� भी यह आप लोग� से �वनती करता हूं �क ऐ �हन्द ू भाइयो ! उठो बहुत सो चुके, 7 करोड़ क� चोर� तुम्हार� हो गई, 7 करोड़ अछूत और 1 करोड़ अन्य लोग�

क� चोर�, नह�ं 2 लट ू होने वाल� है , अपनी पंज ू ी क� र�ा करो, नह�ं तो शीघ्र ह� 22 करोड़ के 14 करोड़ ह� रह जाओगे और �फर धीरे 2 शेष 14 करोड़ मस ु लमान� के �शकार बन जाव� गे)

4- काश्तकार खेती करने वाले लोग� को नीच जा�त और अछूत क़ौम� से �मलने, उनसे काम लेने और उनके साथ काम करने के �लये बहुत मौक़ा होता है , उनका भी कतर्व्य है �क वे उन्ह� मस ु लमान बनाने का प्रयत्न कर� और जब वे मस ु लमान हो जाव� तो उनके साथ सच्ची भाई के तुल्य हमदद� कर� । इस पेशा म� माल�, बागवान और हर प्रकार के खेती करने वाले मज़दरू वगैरह शा�मल ह�। आ�लम लोग� को चा�हये �क वे इन्ह� इस्लाम के मसले खतरे का घंटा | 24

�सखाय�, िजसम� ये �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बना सक�। साधारण और गर�ब लोग� म� द�न क� सेवा का जोश अ�धक होता है ।

5- दस्तकार दस्तकार� क� जमाअत बहुत बड़ी है , सोने, चांद�, लोहे , �मट्ट�, लकड़ी,

पत्थर, रुई, कपड़े और कागज़ के काम करने वाले, तसवीर खींचने वाले और हर प्रकार के कार�गर तमाम शहर� और दे श� म� पाये जाते ह�, आ�लम� को चा�हये �क प�हले उन्ह� इस्लामी मसल� से आगाह कर� पीछे उन्ह� मस ु लमान बनाने का काम करने के �लये प्रोत्सा�हत कर� , ये लोग बहुत अच्छ� तरह और सच्चे जोश से इस काम को कर सकते ह�।

6 - �तजारत करने वाले प्रोफेसर आरनल्ड ने �लखा है �क इस्लाम को बज ु ग ु � और �तजारत करने वाल� ने फैलाया था, वह समय है �क �तजारत करने वाले अपने क�र्व्य को भल ू गये ह� और जानते भी नह�ं �क उनके पूवज र् � ने क्या 2 काम �कये थे, आवश्यकता है �क ये लोग अपने पुराने कतर्व्य को याद कर� और मस ु लमान बनाने का कायर् �फर से आरम्भ कर द� । थोक बेचने वाल� के पास दरू 2 से व्यापार� आते ह�, उन को चा�हये �क प्रत्येक व्यापार� को इसलाम का सन्दे सा द� । खद ु रा बेचने वाल� का सम्बन्ध साधारण ग्राहक� से होता है , दक ू ान पर बैठे दावत इसलाम का काम कर सकते ह�। न पैसे का खचर् है और न समय का और मफ् ु त म� सबाब (पुण्य) �मलता है , उनको चा�हये �क जब नीच जा�त के लोग कोई चीज़ लेने आव� तो बड़े प्रेम और नम� से उन्ह� मस ु लमान बनने का लालच द� और मस ु लमान� म� जो बरावर� का बतार्व होता है वह उन्ह� बताय�। फेर� करने वाले दक ु ानदार� को बड़ा मौका है वह घर� म� जाकर िस्त्रय� को इस्लाम क� खू�बयां बयान कर सकते ह�, �कसी दरू के मल् ु क म� जाकर भी इस्लामी दावत दे सकते ह�, इस्लाम इन्ह�ं घूमने वाले सौदागर� ने फैलाया था, दल्लाल� का पेशा भी इस्लाम क� दावत के �लये उ�चत है । जो लोग दल्लाल

25 | अलामर् बेल

होते ह� उन्ह� हर दक ू ान पर जाना पड़ता है , चार बात� व्यापार क� कर� तो एक इस्लाम क� बात भी सन ु ा द� । (क्य� �हन्द ू लोग अपनी िस्त्रय� को फेर�वाल� को अपने घर बुलाने व उनसे वस्तुय� लेने से न रोक�गे ? �कतनी �हन्द ू िस्त्रयां इन फेर� वाले मुसलमान सौदागर� से भ्रष्ट क� जाती ह� यह �कसी �हन्द ू ने सोचा है ?)

7. नौकर पेशा लोग

दफ्तर� के बड़े ओहदे दार य�द आयर् ह� तो वे बड़े जोश से काम करते ह�। मस ु लमान ओहदे दार� को चा�हये �क वे भी आय� क� तरह अपने सच्चे मज़हब के फैलाने का ध्यान रक्ख�। अपने अधीन लोग� को इस्लाम क� ओर लालच �दलाने का परू ा अवसर उनके पास है । सब से अ�धक और उ�म काम पटवार� कर सकते ह� उनको हर गांव म� जाना होता है , य�द वे नीच जा�त के लोग� को इस्लाम क� दावत द� तो बड़ा लाभ होगा। पंटवा�रय� क� तरह दे हाती पोस्टमास्टर भी सरलता से काम कर सकते ह�। जब कोई नीच जा�त का �हन्द ू डाकघर म� आवे (जब �क वह सरकार� मकान और सरकार� ड्यूट� पर होगा) तो उससे दो बात� इस्लाम क� कर लेनी चा�हये धीरे 2 उसका प्रभाव पड़ेगा। दे हात के पु�लस अफसर व �सपाह� नम� और प्रेम से नीच लोग� को मस ु लमान करना चाह� तो सफलता हो सकती है । (सरकार से तनख्वाह पावे काम मस ु लमान� का करे कैसा अंधेर ?) नहर के मल ु ािज़म� को भी दे हात म� जाना पड़ता है , वे भी नीच जा�त के लोग� को मुसलमान बनाने का काम कर सकते ह�। डाक्टर और कम्पाउन्डर लोग� का साधारण मनुष्य� से सम्बन्ध रहता है , उनको चा�हये �क रो�गय� का ऐसे प्रेम से इलाज कर� िजससे मस ु लमान� का भ्रातभ ु लमान होने का उन्ह� लालच �दया जावे। ृ ाव उन पर प्रगट हो और मस

खु�फया पु�लस के आदमी इस्लामी खबर� पहुंचाने का काम भी कर सकते

ह� और दावत इस्लाम का फजर् भी उन्ह� अदा करना चा�हये क्य��क उन्ह� जगह 2 जाना पड़ता है ।

खान�, �मल� और कारखान� के वे बड़े 2 ओहदे दार, िजनके नीचे कुछ

आदमी ह�, बड़ी सफलता से मस ु लमान बना सकते ह�, क्य��क मज़दरू बहुधा खतरे का घंटा | 26

नीच लोग होते ह�, य�द वे मस ु लमान बनाने क� को�शश कर� तो हज़ार� मज़दरू मस ु लमान हो सकते ह�। अंग्रेज़� के खानसामे व बहरे अंग्रेज़� के ईसाई नौकर� और खासकर भङ्�गय� को मस ु लमान बनाने क� को�शश कर� । (भं�गय� को मस ु लमान बना कर ख्वाजा सा० केवल उन्ह� भ्रष्ट ह� करना चाहते ह�, क्य��क उनके शाद� �ववाह के �लये तो आप अपनी इसी �कताब "दाइये इस्लाम" म� इन्कार कर चुके ह� �फर उनके �हंद ू बने रहने म� उनक� क्या हा�न है ?) रे लवे कमर्चा�रय� को भी मस ु ा�फ़र� म� तबल�ग इस्लाम करनी चा�हये, वे बहुत अच्छा और प्रभावशाल� काम कर सकते ह�।

याद रहे �क उपरोक्त ढँ ग� से काम करने म� पग 2 पर �हन्द,ू आयर् और

ईसाई लोग छे ड़ छाड़ कर� गे, बहुधा उनक� नौकर�, पेशा और रोज़गार पर भी आ

बनेगी, इस कारण दावत इस्लाम का काम बहुत बचाव व हो�शयार� से करना चा�हये, �क िजसम� शत्रओ ु ं क� चोट� से बचे रह� और य�द कुछ हा�न भी पहुंचे तो खद ु ा क� राह पर उसे सहन करना चा�हये, अल्लाह मदद करे गा और अपने

ग़ैबी खज़ाने से उन्ह� रोज़ी दे गा, �कसी बात से डरना या कम-�हम्मत न होना चा�हये, प�हले तो मस ु लमान� ने इस मैदान म� अपनी और अपने बाल बच्च� क� जान� तक दे द� ह�, घरबार बरबाद कर �दया है , मस ु लमान तो हर समय पर��ा म� ह�, �कसी दशा म� भी उन्ह� �नराश न होना चा�हये, आवश्यकता है �क मस ु लमान एक दस ू रे क� मदद करने पर तय्यार हो जाव� । (न केवल �नजी नौकर �कन्तु सरकार� नौकर� को भी सरकार� इमारत� तक म� सरकार� ड्यूट� पर होते हुये भी मस ु लमान बनाने के �लये उभारा गया है , य�द उपरोक्त महकम� के मस ु लमान आ�फसर व कमर्चार� मस ु लमान बनाने

का कायर् प्रारम्भ कर द� गे तो �हन्दओ ु ं क� र�ा कहां और कैसे होगी, पाठक �वचार कर� । �हन्दओ ु ं को चा�हये �क इस प्रकार से अन्याय व अत्याचार करते हुये �कसी सरकार� आ�फसर या कमर्चार� को पाव� तो शीघ्र इसक� �रपोटर् सरकार

म� कर� , य�द वे चुप रहे और नीच जा�त के लोग� को ये लोग मस ु लमान बनाते रहे , तो कब तक �हन्द-ू जा�त जी�वत रह सकती है स्वयं �वचार कर ल�)

27 | अलामर् बेल

8. राजनै�तक ल�डर, सम्पादक, क�व व लेखक इन तमाम लोग� का काम �दमागी व इल्मी है । �खलाफ़त के लोग� को यह खयाल छोड़ दे ना चा�हये �क य�द वे मस ु लमान बनाने का काम कर� गे तो �हन्द ू नाराज़ हो जाव� गे, (पानी अब सर से ऊंचा पहुंच चक ु ा है ) 16 माचर् को

�दल्ल� म� सभा हुई थी िजसम� �हन्द,ू मस ु लमान और �सक्ख सब जमा थे। डाक्टर अन्सार� उस सभा के प्रधान थे, उस सभा म� हक�म अजमलखां साहे ब ने

बड़ी नम� और संजीदगी से फ़रमाया था �क म� मस ु लमान हूं और मस ु लमान� को

म�ु तर्द (�हन्द)ू होने से बचाना मेरा कतर्व्य है और म� इस काम क� मदद करना मल् ु क� काम� के �लये हा�नकारक नह�ं समझता। हक�म साहे ब के इस व्याख्यान के �वरुद्ध दे शबन्धु साहे ब ने बड़े कड़े शब्द� म� भाषण �दया और सरदार गरु ु बख्श�संह सा० ने कहा �क मेरे पास 1 �हन्द ू साहे ब बैठे ह� जो कहते ह� �क म� डण्डे और छुर� से काम लूंगा, यानी मस ु लमान� पर डण्डे और छुर� चलाऊंगा, (�नतान्त झठ ू ) इस पर सरदार साहे ब ने बहुत अफ़सोस �कया और कहा �क जब ऐसे �वचार हो गये ह� तो एकता क� क्या आशा हो सकती है ?

सारांश मस ु लमान� को तो छुर� और डण्डा चलाने क� आवश्यकता नह�ं है , उनको तो अपने भाइय� को �हन्द ू होने से बचाना और दस ू रे अछूत �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बनाना है । उनको �कसी से लड़ना झगड़ना नह�ं है , हां लड़ाई वाह ख्वाहमख्वाह सर पर आ जावे तो उसे सहन करना और मैदान से पीछे न हटना चा�हये। (खब ू ! ख़्वाजा सा० ने कैसी पेशबन्द� क� है , मलावार, मल् ु तान, अमत ु ं ृ सर, अजमेर, सहारनपुर, आगरा, ग�डा और शाहजहानपरु आ�द म� �हन्दओ ह� ने छुरे , लाठ�, तलवार और बन्दक ू चलाई ह�गी ? �हन्दन ु � को जान से मार

डालने, मस ु लमान बनाने, उनक� दक ू ान� को लूटने, मिन्दर� को जलाने, म�ू तर्यां तोड़ने, िस्त्रय� पर अत्याचार करने आ�द के �नन्दनीय कायर् भी �हन्दओ ु ं ह� ने �कये ह�गे ? शोक ! उपरोक्त सारे अत्याचार करके भी यह� कहा जाता है �क मस ु लमान तो दध ु �पये बच्चे ह� वे कुछ जानते भी नह�ं, हां �हन्द ू उन पर आक्रमण करने क� तैयार� कर रहे ह�। पर उपरोक्त नगर� क� �मसाल� सामने ह� उनके होते हुये भी क्या आंख� म� धूल डाल� जा सकती है ?)

�खलाफ़त के ल�डर� को चा�हये �क एकता बनाये रखने के साथ ह� साथ

द�न क� र�ा और वद् ु लमान बनाने का काय्यर् ृ �ध का फ़जर् भी अदा कर� और मस खतरे का घंटा | 28

सस ं �ठत रूप से जार� कर द� िजसम� सारे �हन्दस् ु ग ु तान क� �खलाफ़त कमे�टयां मस ु लमान बनाने का कायर् करने लग� (अक्सर जगह ख़्वाजा साहे ब क� सलाह के अनुसार �खलाफ़त कमे�टय� ने कायर् आरम्भ कर �दया है ) �खलाफ़त ने मस ु लमान� म� एक �वशेष प्रकार का संगठन उत्पन्न कर �दया है और खद ु ा क� फ़ज़ल से अब तक ु � क� भी सल ु ह हो गई इस वक्त �खलाफ़त कमे�टय� को इस्लाम क� र�ा व वद् ृ �ध का काय्यर् हाथ म� लेना

चा�हये। (ठ�क है , इसी�लये �हन्दओ ु ं ने �खलाफ़त फण्ड म� लाख� का चन्दा �दया, उसके सभासद् बने और जेल तक गये। �हन्द ू लोग अच्छे उल्लू बने। अब 'लाला क� जत ू ी उन्ह�ं के सर' वाल� मसल इन पर खूब च�रताथर् होती है ) जमॅइत उलमा के अक्सर लोग� का तो इधर ध्यान आक�षर्त हो गया है , जो शेष ह� उन्ह� भी इधर शीघ्र ध्यान दे ना चा�हये। जो मस ु लमान कांग्रेस के ल�डर या काम करने वाले ह� उनको इसी आंदोलन द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना चा�हये। य�द सब अछूत जा�तय� मस ु लमान हो जाव� तो उनका पल्ला �हन्दओ ु ं के बराबर हो जावेगा और स्वराज्य प्राप्त होने पर ये �हन्दओ ु ं के गले म� चक्क� का पाट न रह� गे, िजनको उठाकर �हन्दओ ु ं को चलना पड़े, वरन ् वे स्वयं अपने पैर खड़े हो सक�गे। �हन्द ू 22 करोड़ ह�, मस ु लमान केवल 8 करोड़ ह� य�द 6 करोड़ अछूत मस ु लमान हो जाव� तो �फर उनक� तादाद भी 14 करोड़ हो जाये और �फर उनम� इतनी �नबर्लता न रहे जो वे �हन्दओ ु ं के �लये वारे खा�तर ह�। इस वास्ते कांग्रेस के मुसलमान ल�डर� को सब से अ�धक अछूत �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बनाने का प्रयत्न करना चा�हये (इन �दन� जगह 2 जो झगड़े हुये उनम� मस ु लमान� क� �नबर्लता खूब दे खने म�

आई, जब 14 करोड़ हो जाव� गे तब संभव है इसी प्रकार क� और �नबर्लता आ जावै। ख्वाजा सा० 6 करोड़ अछूत� पर ह� अ�धक क्य� ज़ोर दे ते ह� 22 करोड़ के 22 करोड़ सभी को क्य� लेने का प्रयत्न नह�ं करते और �फर तब तो मस ु लमानी स्वराज्य �नश्चय ह� प्राप्त हो जावेगा) इनका काम यह� है �क अपने 2 इलाक़� क� कांग्रेस कमे�टय� द्वारा उन जा�तय� क� �रपोटर् तैयार कर� जहां इस्लाम क� वद् ृ �ध क� आवश्यकता है ता�क इस्लाम के प्रचारक वहां काम कर सक�। �रपोटर्

के अ�त�रक्त उनको यह भी चा�हये �क �हन्दओ ु ं म� मस ु लमान� के �खलाफ़ जोश या गलत फ़हमी न पैदा होने द� (यानी उन्ह� बद् ु ध बनाकर, जैसे अजमेर के 2-4 �हन्द ू कांग्रेस काय्यर्क�ार्ओं को बनाया गया है , अपना उल्लू सीधा कर� ) 29 | अलामर् बेल

मस ु �लम समाचार पत्र� और मा�सक पत्र� का फ़ज़र् है �क लगातार ऐसे लेख �लख� �क िजनसे इस्लामी प्रचारक� को माल� व अमल� सहायता �मले और क़ौम म� जोश मस ु लमान बनाने के �लए पैदा हो। शुद्�ध न �लखो इतर्दाद �लखो यह बात सब से अ�धक ध्यान दे ने क� है �क मस ु �लम समाचारपत्र� को आय्य� के शब्द "शद् ु �ध" को इस्तेमाल न करना चा�हये उसके बदले इतर्दाद व म�ु तर्द �लखना ठ�क है , क्य��क शुद्�ध के अथर् 'पाक' होने के ह�, अतएव य�द म�ु तर्द होने को मस ु लमान अपनी क़लम या जबान से पाक होना �लख� गे तो बहुत बड़ा पाप होगा, हां य�द अशुद्�ध �लखा जावे तो ठ�क है यानी शुद्�ध के प�हले अ�लफ़ लगा �दया जावै।

मस ु �लम प्रेस� के �लये यह बात बहुत ध्यान दे ने क� है �क मौजद ू ा जोश

ठन्डा न पड़ जावै, इसको सदा िस्थर रखने और ल�डर� को जगाते रहने क� आवश्यकता है । मस ु �लम क�वय� को भी इधर ध्यान दे ना चा�हये, उनको सरल शब्द� म�

ऐसी क�वता करनी चा�हये िजसम� मस ु लमानी अक�दे नमाज़ रोज़ा के बयान ह�, अभी िजतनी इस्लामी क�वताय� मौजद ू ह� उन्ह� �फर से तरतीब दे कर और परू � करके छापना चा�हये। इस्लामी स्वांग - �हन्दओ ु ं म� ड्रामा के ढं ग पर स्वांग का दस्तूर है , स्वांग� म� �हन्दओ ु ं क� लड़ाई के हाल और अन्य �हन्द ू सभ्यता क� बात� �कस्स� के ढं ग पर �दखाये जाते ह�, दे हात म� इन स्वांग� का बड़ा शौक़ है , बाज़ार म� मलखान क� लड़ाई के नाम से एक पस् ु तक �बकती है , इसको मस ु �लम क�वय� के पास पहुंचाना चा�हये ता�क वे दे ख� �क िजन मलखाना राजपूत� को म�ु तर्द (�हन्द)ू बनाने का प्रयत्न �कया जा रहा है उनके खयालात व हालात क्या ह�

और उन्ह�ं खयालात के आधार पर मस ु लमानी बहादरु � के �क़स्से स्वांग के ढङ्ग पर �लखने चा�हये। स्वांग करने वाले आमतौर से मस ु लमान ह�। मेरे इलाक़े म� नसीरा नाम का एक �वख्यात स्वां�गया है िजसके गाने और नाच को हज़ार� �हंद ू व मस ु लमान बड़े शौक़ से दे खते व सन ु ते ह�। म�ने उसे इस्लामी स्वांग करने को कहा, तो उसने उ�र �दया �क य�द हमको इस्लामी स्वांग �लख �दये जाव� तो आयन्दा हम इस्लामी स्वांग ह� �कया कर� गे और �हन्द ू स्वांग छोड़ द� गे। उसने यह भी कहा �क स्वांग करने वाले अ�धकतर मस ु लमान ह� और वे सहषर् क़ौमी �खदमत करने को तय्यार हो जाव� गे (इसके �लए �हन्दओ ु ं को क्या करना चा�हये, सब से सरल उपाय यह� है �क उन्ह� बुलाना बंद कर द� )

खतरे का घंटा | 30

सम्भव है आ�लम लोग इस प्रस्ताव के �वरुद्ध ह� �कन्तु म� प्राथर्ना उन लोग� से करता हूं जो गाने बजाने और स्वांग को नाजायज़ नह�ं समझते और म� भी उन्ह�ं म� हूं। (क्य� न हो इस्लाम तो फैलता है )

मस ु लमान पुस्तक� �लखनेवाल� का भी फ़ज़र् है �क सब काम छोड़कर बस

इसी ओर लग जाव� । मस ु लमान बनाने के तर�के �कताब� से छानछून कर प्रका�शत कर� , यह� नह�ं वरन ् मस ु लमान� क� बहादरु � के हालात भी तय्यार करने चा�हय�, िजन्ह� सन ु ने से �हन्द ू राजपूत� पर प्रभाव पड़े। मस ु लमान� के भ्रातभ ृ ाव

क� �मसाल� भी �लखना चा�हये जो अछूत� को सन ु ानी चा�हय�, इस्लाम क� र�ा के �लये उनके अक़�द� के छोटे 2 ट्रै क्ट �लखने चा�हये जो मस ु लमान� म� खूब बांटे जाव� । गरज़ �क समय आ गया है �क वे अपने �दल व �दमाग और इल्म को इस तरफ़ लगाव� और सा�बत कर द� �क मस ु लमान� का हर एक �गरोह इस्लाम के प्रचार म� लग गया है और कलमा "ला इलहइिल्लला" क� स्ट�म से जो मशीन चल रह� है उसके सब पुज़� पूर� तरह से अपने 2 काम म� लगे हुये ह�।

9. डाक्टर व हक�म स्वतन्त्र हक�म व डाक्टर मस ु लमान बनाने क� ओर अपना ध्यान द� तो उनके प्रभाव से बहुत काम हो सकता है । दे शी हक�म� का आप लोग� पर बहुत प्रभाव होता है । �हन्द ू लोग भी हक�म� से इलाज कराते ह�, य�द उनके अन्दर इस्लाम क� वद् ृ �ध का जोश हो तो द�न क� सेवा बहुत कर सकते ह�।

10. गाने वाले क़व्वाल हर जगह मौजद ू ह�, क़व्वाल� म� हर प्रकार के �हन्द ू लोग शा�मल होते ह�। य�द क़व्वाल लोग इस्लामी तौह�द क� गज़ल� याद कर� और इस्लाम क� वद् ृ �ध के खयाल से उन्ह� गाय� तो अल्ला ताला असर पैदा करे गा।

हर प्रकार के गाने वाले व बाजे बजाने वाल� को तय्यार करना चा�हये

�क हर मज�लस म� 1, 2 चीज� इस्लामी शान क� ज़रूर गाव� । गाने वाल� रिण्डय� को भी ऐसी ग़ज़ल� याद कराई जाव� ।

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सम्भव है �क आ�लम लोग इसम� आप�� डाल�, इस�लये अच्छे गले के मस ु लमान लोग� क� टो�लयां बनानी चा�हय�, जो जगह 2 इस प्रकार क� गज़ल� गाते �फर� , �हन्दस् ु तान म� गाने का व्याख्यान के मक़ ु ाबले म� अ�धक प्रभाव पड़ता है , गाने वाल� को इस आन्दोलन म� अवश्य शा�मल करना चा�हये जो लोग इसे पसन्द न कर� उनके कायल करने के �लये म� हुज्जत नह�ं करता। मेरा कहना केवल उन लोग� से है जो इसको ठ�क समझते ह�।

11. भीख मांगने वाले मस ु लमान� म� �भखार� बहुत अ�धक ह�। क़ौम उनको ठ�क करना चाहती

है पर वे ठ�क तो जब होना होगा हो जाव� गे। इस समय तो उन को काम का आदमी बनाना चा�हये और वह यह है �क उनको इस्लाम क� वद् ृ �ध क� आवश्यकता बताई जावे और उनको कहा जावे �क वे इस प्रकार से कायर् कर� ।

जो फ़क़�र �भखार� का काम करते ह� उनको ऐसी 2 सदाय� (आवाज़�) �सखाई जाव�, िजनके कहने से इस्लाम क� खब ू ी ज़ा�हर हो। जो गाकर भीख मांगते ह� उनको भी इस प्रकार के गाने याद कराये जाय�, �क िजनसे इस्लाम क� खू�बयां प्रगट ह�। अंधे भीख मांगने वाल� का गला अच्छा होता है , उनको �वशेष र��त से इस प्रकार क� गज़ल� याद कराई जाय� िजनसे जनता पर प्रभाव पड़े। मड ंू �चरे फ़क़�र वे होते ह� जो अपने शर�र म� घाव लगाकर भीख मांगते ह�, उनसे भी काम लेना चा�हये, चू�ड़यां बजाने वाले फ़क़�र नज़ीर अकबराबाद� क� क�वता पढ़ते ह�, अब उनको इस्लामी क�वता याद कराई जाव� । जो गदागर फ़ज़� �भखार� बन जाते ह�, वे खबर लाने का काम अच्छा कर सकते ह� और भीख मांगने वाल� िस्त्रयां भी घर� म� जाकर खबर� लाने का काम बहुत अच्छा कर सकती ह�।

12. खबर-रसान� का काम इनके बारे म� प�हले ब्यौरे वार �लख �दया गया है अब �फर �लखने क� आवश्यकता नह�ं। हां इतना �लखना ज़रूर� है �क य�द खबर लाने का महकमा कायम हो गया तो केन्द्र का बल बहुत बढ़ जावेगा और यह महक्मा केवल खतरे का घंटा | 32

इस्लाम क� वद् ृ �ध का ह� काम न करे गा वरन ् प्रत्येक इस्लामी आन्दोलन को

इससे लाभ पहुंचेगा। मुसलमान� को इसम� ढ�ल न करना चा�हये। ऐसा न हो �क मस ु लमान तो सोचते हो रह� और दश्ु मन लोग इसको करके �दखा द� ।

क़ानूनपेशा के लोग �गरोह� के �वभाग करते समय वक�ल� का िज़कर रह गया; यह �गरोह क़ौम का सब से अ�धक ज़रूर� है । �खलाफ़त व कांग्रेस म� इस जमाअत ने सब से अ�धक काम �कया, इस �गरोह को जनता से रात �दन �मलने का अवसर �मलता है , इनको भी इस्लाम क� वद् ृ �ध का काम करना चा�हये, बिल्क इस �गरोह को तो र�ा व प्रचार के सारे प्रबन्ध अपने हाथ म� लेना चा�हये।

काम का �वभाग काम बांटते समय इस बात का ध्यान रखा जावे �क एक जमाअत (�गरोह) के हाथ म� जो काम या अ�धकार हो उसम� दस ू रे �गरोह के लोग हस्त�ेप न कर� । मस ु लमान� के काम� म� सदा यह त्र�ु ट रहती है �क वे काम को बांटना नह�ं जानते। एक ह� आदमी के हाथ म� कई कई अ�धकार दे दे ते ह�, िजसका प�रणाम यह होता है �क आपस म� एक दस ू रे से �खंचा �खंची हो जाती है । काम बांटते समय यह ध्यान रखना चा�हये �क उस �गरोह के प्रबन्धक तजब ु ेकार और ईमानदार ह�। बड़े 2 आद�मय� को उनक� ख्या�त के कारण ह� प्रवन्धक न बना दे ना चा�हये, इससे बहुधा बड़ी हा�न होती है । प्रबन्धक वे होने चा�हय� िजनके पास उस काम के अ�त�रक्त घर बाहर कह�ं का काम न हो। चाहे वे �वख्यात ह� या न ह�। अमले के प्रबन्धक� को छोटे 2 मक्तब� (पाठशालाओं) का खोलना बहुत

ज़रूर� है जहां नौमस ु �लम� के बालक� को इस्लाम क� ज़रूर� 2 बात� बताई जाव� ।

दस ू र� ज़रूर� बात यह है �क व्याख्यान दे ने वाल�, प्रबन्धक� और शास्त्राथर् करने वाल� क� अलग दो जमाअत� �नयत क� जाव� एक ह� से दो काम लेने उ�चत नह�ं वरन ् अ�धक हा�न होती है ।

33 | अलामर् बेल

इस आंदोलन म� सब से अ�धक इस बात का ध्यान रखना चा�हये �क �शया, सन् ु नी, सफ़ ू � और वहा�बय� के आपस के मतभेद क� बात� को इसम� न लाया जावे। इसका उपाय यह� है �क हर �फ़रके के कारकुन अलग 2 �नयत �कये जाव� । एक दस ू रे से �मलना बहुत हा�नकारक होगा।

गाने क� एक शाखा ज़रूर होनी चा�हये, आ�लम� को इस म� आप�� हो

तो मशायख क� ओर से अलग यह शाखा स्था�पत करना चा�हये और इसक� सच ू ना केन्द्र को द� जावे ता�क उन्ह� सब बात� क� सच ू ना �मलती रहे ।

�कन 2 जा�तय� व स्थान� म� काम �कया जावे �कन 2 जा�तय� और स्थान� म� काम �कया जा इसका �नश्चय कायर् करने पर हो सकेगा। मगर मेरे खयाल म� सब से अ�धक आवश्यकता नीच जा�तय� म� काम करने क� है , �वशेषकर चमार व भं�गय� म� पूरे बल से काम करना चा�हये, बहुत से चमार ईसाई हो गये ह�, हम उनको मस ु लमान बना सकते ह� या जो ईसाई नह�ं हुये उनको मस ु लमान बनाने म� सरलता होगी।

गोन्ड, भील, कंजर और घूमनेवाल� जा�तय� को इस्लाम का सन्दे शा सन ु ाना चा�हये। �रयासत है दराबाद दिक्खन म� बहुत बड़े पैमाने मे काम करना चा�हये।

वहां आसानी से लाख� आदमी मस ु लमान हो सकते ह� (सचाई फूटकर �नकल आई। मस ु लमान राजा होने से बेचारे गर�ब� का धमर् भ्रष्ट करने म� अवश्य आपको आसानी है )। मलाबार और मद्रास के इलाक� म� भी ध्यान दे ना चा�हये। �सन्ध, गज ु रात, का�ठयावाड़ ऐसे मैदान ह� �क यहां हर एक आंदोलन बहुत जल्द फलने फूलने लगता है । इन जगह� म� पीर� और आगाखानी �मशन को शा�मल करना ज़रूर� है ।

बंगाल के अनग�णत अनपढ़ मस ु लमान� को पक्का करना ज़रूर� है नह�ं तो बहुत भय है ।

ब्रह्मा म� बड़ा मैदान है | वहां क� िस्त्रय� से शाद� करने से इस्लाम क�

खूब वद् ु लमान वहां ृ �ध हो सकती है , ब्रह्मा म� रोज़गार भी बहुत है , बेकार मस

जाव� रोजी भी कमाव� और शा�दयां भी करके िस्त्रय� को मस ु लमान बनाव� , ब्राह्मी लोग� म� तास्सब ु नह�ं होता, वहां शा�दय� के द्वारा इस्लाम फैलाना बहुत सरल है ।

खतरे का घंटा | 34

(इतना �लखकर ख्वाजा सा० ने एक पंिक्त म� बहुत सी �बिन्दय� दे कर

छोड़ �दया है । इसका तात्पयर् या तो इत्या�द 2 का होता है या यह हुआ करता है �क लेखक को कुछ और �लखना है �कन्तु �कसी कारण या संकोच वश नह�ं

�लखता और पाठक� पर छोड़ दे ता है , �ात नह�ं �क ख्वाजा सा० ने �कस अ�भप्राय से ऐसा �कया है । यहां पर इत्या�द क� कोई आवश्यकता नह�ं प्रतीत होती, सम्भव है इससे भी अ�धक महत्व क� कोई बात मस ु लमान बनाने क� �लखना चाहते ह�, जैसा �क सन ु ा जाता है �क प्रथम संस्करण म� �लखा था, �कन्तु संकोच वश उसे न �लखकर �बिन्दय� दे द� ह�। खैर उनका अ�भप्राय कुछ

हो, पाठक भी ख्वाजा सा० के बताये हुये हथकण्ड� को पढ़कर अपनी इच्छानुसार इस जगह �बिन्दय� दे ने का अ�भप्राय �नकाल ल�)

�हन्द ू मस ु लमान दे शी �रयासत� म� , जहां मज़हब बदलने क� क़ानूनी मनाह� न हो, प्रचार का काम अच्छ� तरह हो सकता है । सारांश प्रत्येक शहर, क़सबा और गांव म� व प्रत्येक कारखाने म� बिल्क प्रत्येक घर म� मस ु लमानी धमर्प्रचार व मस ु लमान बनाने के अवसर प्राप्त ह�। मस ु लमान� को उ�चत है �क आ�लम� पर इस काम को न छोड़ द� �कन्तु ध्यान रख� �क उनका भी कतर्व्य है और वे भी यह काम कर सकते ह�। न कह�ं दरू जाने क� आवश्यकता है और न चन्दा जमा करने क�, न सभा क़ायम करने क� ज़रूरत है और न प्रचारक को मौलवी और बड़ी योग्यता प्राप्त करने क�, इस्लाम का प्रचार तो बहुत सरल है , प्रत्येक मनुष्य उसे कर

सकता है य�द वह करना चाहे । केवल बकवास करने या एतराज़ जड़ने क� आदत न होना चा�हये। जैसा �क आजकल बाज़ मस ु लमान लोग �सफ़र् ताना दे ने और दस ू र� क� बुराई करने के �सवा और कुछ नह�ं करते, केवल यह� कहते ह�

�क मौल�वय� ने यह त्र�ु ट क�, मशायख यह बात भल ू गये, और ल�डर कुछ ध्यान नह�ं दे ते। कोई इनसे पूछे �क तुम खुद क्या करते हो, केवल चन्दा दे दे ने से क�र्व्य परू ा नह�ं होता, ज़बान से भी काम करो, क़दम से भी काम करो और समय भी इस कार-खैर म� लगाओ। उपरोक्त सार� पुस्तक के �लखने से मेरा यह अ�भप्राय है �क मस ु लमान� के �दल, �दमाग और ज़ेहन को सोचने और काम के ढं ग �नश्चय करने का एक रास्ता मालम ू हो जावे और हर �गरोह म� मस ु लमानी धमर् प्रचार और मस ु लमान बनाने का शौक़ पैदा हो जावे। 35 | अलामर् बेल

मनुष्य का काम केवल प्रयत्न करने का है उसका पूरा करना ख़ुदा के हाथ है , वह� नीयत और इरादे का दे खने वाला और सीधे रास्ते पर चलाने वाला है और उसी से यह आखर� दआ है �क इलाह� सीधा रास्ता �दखा िजन पर तेरा ु इनाम है उनके रास्ते पर चला और िजनसे तू नाराज़ है उनके से बचा। (उपरोक्त वाक्य �लखकर ख्वाजा हसन �नज़ामी सा० अपनी पस् ु तक समाप्त क� है । आगे उन्ह�ने जो �लखा है उससे �ात होता है �क प्रथम संस्करण �बना मल् ू य ह� बांटा गया है और यह दस ू रा संस्करण अफ़र�का क� प्रबन्धकतर्ृ सभा क� प्रेरणा पर छपा है । दफ़्तर का पता �लखा है -हलक़ा मशायख बुक �डपो �दल्ल�। और टाइ�टल क� पीठ पर भी "मदसार् दाइयान इस्लाम" के

संबन्ध म� कुछ �लखा गया है । हलका मशायख, मदसार् दाइयान इस्लाम तथा 1, 2 मास के भीतर भीतर ह� भारतवषर् के अनेक नगर� म� मस ु लमान� क� ओर से

एक ह� ढं ग के झगड़� से साधारण से साधारण मनुष्य भी यह नतीजा �नकाले �बना नह�ं रह सकता �क मस ु लमान� ने, जो कुछ ख्वाजा सा० ने �लखा है , उस पर पूरा पूरा ध्यान �दया है , मेरे एक �मत्र ने कहा �क मेर� दक ू ान पर अक्सर फ़क़�र इन �दन� आये जो बने हुये �ात हुये और जो हमार� आपस क� बात�

बहुत ध्यानपूवक र् सन ु ने का प्रयत्न करते थे, यह सब क्या है ? भप ू ाल और है दराबाद म� िजस ज़ोर के साथ मस ु लमान बनाने का काय्यर् इन �दन� हो रहा है

उसको दे खकर कौन आदमी है जो उनके संगठन से इन्कार कर सकता है , इस �कताब म� जो जो तरक�ब� �लखी गई ह� उनम� से लगभग सभी पर मस ु लमान लोग� ने ध्यान �दया है , काय्यर् भी होने लगा प्रतीत होता है । अब प्रश्न यह होता है �क �हन्दओ ु ं को क्या करना चा�हये, रात �दन इन का और उनका चोल� दामन का सा साथ है , एक तो �हन्द ू वैसे ह� बहुत सरल हृदय के ह�, दस ू रे उनके अन्दर छल व कपट नह�ं है , तीसरे अक्सर लोग इनका ब�हष्कार करना चाहते

भी ह� तो इनका धमर्, इनक� सरलता तथा इनक� �नबर्लता इन्ह� करने नह�ं दे ती। कोई कहता है �क इनसे फल व तरकार� न खर�दो, कोई कहता है इनसे दध ू मत लो, कोई कुछ कहता है और कोई कुछ, पर जो मनुष्य उपरोक्त पुस्तक को

आद्योपान्त पढ़े गा उसे �ात हो जायगा �क इन छोट� मोट� बात� से इतने भार� 2 षड्यन्त्र� का मक़ ु ाबला करना असम्भव नह�ं तो क�ठन अवश्य है ) (जब म� इस पस् ु तक क� बात� को �हन्द� म� �लखने लगा तो कई लोग� ने मझ ु से कहा �क उनक� प्रत्येक तरक�ब का खण्डन भी साथ के साथ �लखते जाना, पर जब म� सार� �कताब पढ़कर �लखने बैठा तो है रान होगया �क क्या खतरे का घंटा | 36

खण्डन �लख।ूं �हन्दओ ु ं म� इतना बल नह�ं �क वे भी उसी प्रकार से उतने महक्मे बनाव� और उनके द्वारा अछूत� तथा नीच जा�त के लोग� को मस ु लमान होने से बचाव� , अपनी र�ा कर� और नौमस ु �लम� को शुद्ध कर� । ख्वाजा साहब कहते ह� �क 6,7 करोड़ अछूत हमार� ओर आ जाव� तो हम और �हन्द ू बराबर बराबर हो जाव� और �फर आपस म� एक दस ू रे क� बराबर� हो जावे और स्वराज्य �मल जाने पर हम लोग �हन्दओ ु ं को भार न ह�, पर य�द �हन्द ू यहां के सब नौमस ु �लम� और ईसाइयो को शुद्ध कर ल� या सारे मस ु लमान व ईसाई ठ�क रास्ते पर आकर अपने बुजग ु � का धमर् स्वीकार करके एक ईश्वर क� शरण ल� और उसके बताये हुये एक सीधे वै�दक मागर् पर चलना आरम्भ कर द� तो यह

मेरा दावा है �क स्वराज्य �मलने म� एक �ण क� भी दे र न लगेगी। अतएव ऐ मस ु लमान और ईसाई भाइय� ! य�द आप �नश्चय स्वराज्य लेना चाहते ह� तो मेरे उपरोक्त �नवेदन पर ध्यान द�िजये। 22 करोड़ �हन्दओ ु ं को 7 करोड़ मस ु लमान� या 50 लाख ईसाइय� के साथ �मलने म� बहुत �वलम्ब लगेगा और क�ठनता भी बहुत होगी, �कन्तु 7 करोड़ मस ु लमान� और 50 लाख ईसाइय� को,

िजनम� से अ�धकतर हमारे �हन्द ू भाई ह� ह�, 22 करोड़ के साथ �मलने म� बहुत कम समय लगेगा और यह काम बड़ी सरलता से हो भी सकता है , क्य��क एक

तो वे हमारे ह� �हन्द ू भाइय� के वंश के ह� दस ू रे वे इसी दे श म� पैदा हुये, यहां के ह� जल, वायु तथा अन्न से उनके शर�र बने, तीसरे अब �हन्दओ ु ं ने भी

उनसे घण ृ ा करना छोड़ �दया और जहां �कसी समय उनको छूकर नहाते थे, वहां

अब उन्ह� अपनी �बरादर� म� �मला रहे ह�। अतएव उनको अपने 22 करोड़ �हन्द ू भाइय� से �मलने म� �क�चन्मात्र भी क�ठनता न होगी, �हन्द ू सहषर् उन्ह� अब अपने म� �मलाने को तय्यार ह�, य�द सच्चे स्वराज्य भक्त मस ु लमान व ईसाई इस गरु ु मन्त्र को समझ कर इस सअ ु वसर से लाभ उठाना चाह� , पर म� जानता हूं �क स्वाथर् और कट्टरपना ऐसा करने न दे गा। इस�लये ख्वाजा हसन �नज़ामी

साहब क� बताई तरक�ब� पर �हन्दओ ु ं को उठते, बैठते, चलते, �फरते, खाते, प�हनते हर समय ध्यान रखना चा�हये, नह�ं मालम ू कौन आदमी उनका जासस ू हमारे पीछे होवे, नह�ं मालम ू कौन पड्यंत्र वे रच रहे ह�, उनके महक्मे जासस ू ी क़ायम होजाने पर क्या हमारा मस ु लमान �सपाह�, कोचवान, दज�, दध ू वाला, फल व तर कार� दे जाने वाला, घर म� चड़ ू ी पहनाने वाला, फेर वाला या भीख मांगने वाला हमारे यहां का नमक खाकर हमारे साथ �वश्वासघात करे गा या जासस ू ी का काम करे गा और हमारे यहां के भेद अपने महकमे जासूसी म� दे गा? 37 | अलामर् बेल

िजन्ह� इस बात पर �वश्वास न होता हो उनको अजमेर के 23 जल ु ाई सन ् 23 के हत्याकाण्ड क� बात� �हन्द ू घायल� से पूछना चा�हये। दश 2 पन्द्रद्द 2 वषर् के पुराने काम करने वाले पल्लेदार�, रं गरे ज�, घो�सय� और चूड़ीवाल� ने अपने प�र�चत, नह�ं 2, �मत्र और मा�लक �हन्दओ र् क� उसके ु ं क� जो कुछ दग ु त �लखने के �लये लेखनी म� शिक्त नह�ं है )

(ख़्वाजा साहब क� तरक�ब� पर ध्यान रखते हुए य�द �नम्न�ल�खत बात�

पर अमल �कया जावे तो अ�धक लाभ होगा, क्य��क म� अपने �हन्द ू भाइय� को उनके हथकण्ड� का तुक� बतुक� जवाब दे ने क� सलाह नह�ं दे ता और न अपने �मत्र के आदे शानुसार उनक� प्रत्येक चाल का प्र�तकार ह� �लखना चाहता हूं। उनके �लखने से �हन्दओ ु ं के �दल� म� मस ु लमान� के प्र�त घण ृ ा उत्पन्न होने क�

सम्भावना है , जो अपना उद्दे श नह�ं है । नह�ं तो कुल पुस्तक का उ�र केवल दो

शब्द� म� यह हो सकता है �क ऐसे लोग� से अपना �कसी प्रकार का भी संबन्ध न रक्खा जावे, और िजस प्रकार से मस ु लमान लोग �हन्दओ ु ं के पेश� क� दक ू ान खोल 2 कर उनका ब�हष्कार कर रहे ह� उसी प्रकार से �हन्द ू लोग भी उनका एकदम ब�हष्कार कर द� , पर जैसा �क म� ऊपर �लख चक ु ा हूं �क �हन्द ू मस ु लमान� का चोल� दामन का सा साथ हो गया है , अब इस प्रकार का

ब�हष्कार एक तो क�ठन भी है , दस ू रे इससे एक दस ू रे के प्र�त घण ृ ा अ�धक उत्पन्न होगी इस�लये �हन्दओ ु ं को अपनी र�ा ह� करना बहुत है )

(�हन्द ू संगठन क� आवश्यकता को समस्त �हन्द ू जनता ने महसस ू �कया

है और अक्सर जगह उद्योग भी हो रहा है , इस समय आवश्यकता इस बात क� है �क �हन्द ू सभाय� नगर 2 और ग्राम 2 म� स्था�पत हो जाव� और गांव� क� सभाय� तहसील, तहसील क� िज़ला, िज़ल� क� प्रांत और प्रांत क� भारतवष�य �हन्द ू महासभा के आधीन ह� और िजस प्रकार से अंग्रेज़ी सकार्र का प्रबन्ध सस ं �ठत रूप से चल रहा है उसी प्रकार से �हन्द ू सभाओं को चलाया जावे और ु ग समस्त �हन्द-ू सभाय� �नम्न�ल�खत बात� पर �वशेष ध्यान रक्ख� 1– कोई �हन्द ू अनाथ �बना सहायता के आवारा तो नह�ं �फर रहा है , य�द हो तो उसे समीप के �कसी अनाथालय म� भेज दे ना चा�हये। 2- कोई बेवा स्त्री �बना �कसी सहारे के तो नह�ं है , य�द हो तो उसक� इच्छानस ु ार उसका उ�चत प्रबन्ध करना चा�हये। 3- कोई स्त्री या परु ु ष अपने घर से लड़ाई करके भागने वाला तो नह�ं है , य�द हो तो सभा के काय्यर्कतार् उसे समझा बुझाकर फ़ैसला करा द� ।

खतरे का घंटा | 38

4– �कसी �हन्द ू मदर् का सम्बन्ध �कसी मस ु लमान स्त्री से तो नह�ं है , य�द हो तो छुटाने का प्रयत्न करना चा�हये और न छूटने पर �हन्द ू शास्त्र के अनुसार वह संबन्ध दृढ़ करा दे ना चा�हये, यानी उस स्त्री को शुद्ध करके उस पुरुष से उसका �ववाह करा दे ना चा�हये। 5– �कसी �हन्द ू स्त्री का संबन्ध �कसी मस ु लमान परु ु ष से तो नह�ं है , य�द हो तो उसके छुटाने का प्रयत्न करना चा�हये, और उस स्त्री का पुन�वर्वाह कर दे ना चा�हये, य�द वह स्त्री उसी पुरुष के साथ राज़ी हो तो उसे शुद्ध करने का प्रयत्न करना चा�हये। 6– कोई पुस्तक या �व�ापन �हन्दओ ु ं के �वरुद्ध म� तो नह�ं �नकाला गया, य�द �नकाला गया हो तो िजस सभा या मनष्ु य को प्राप्त हो वह महासभा को भेज दे और महासभा उसके खण्डन का प्रबन्ध करे । 7- कोई लड़का या लड़क� मस ु लमान� के मदरस� या स्कूल� म� तो नह�ं पढ़ते

य�द पढ़ते ह� तो उनको वहां से हटा कर �हन्द ू पाठशालाओं म� भत� कराना चा�हये, िजस गांव म� पाठशाला न ह� वहां खोलने का प्रबन्ध करना चा�हये। 8- �कसी मस ु लमान स्त्री अथवा मदर् को, चाहे वह �कसी भी चीज़ के बेचने का कायर् करता हो, �हन्द ू िस्त्रय� म� न जाने दे ना चा�हये।

9– �कसी फ़क़�र या मल् ु ला के पास �कसी स्त्री या बच्चे को झाड़ा फूंक� वा औलाद मांगने के वास्ते कदा�प नह�ं जाने दे ना चा�हये, �कसी मनुष्य को �सद्ध समझ कर घर म� नह�ं आने दे ना चा�हये, मस ु लमान लोग �हन्द ू पिण्डत� व साधओ ु ं के स्वाङ्ग भरकर लोग� को भ्रष्ट करते �फरते ह�, इस�लये �बना जाने �कसी को घर म� नह�ं घुसने दे ना चा�हये। मस ु लमान स्त्री पुरुष� को कैसा ह� काम क्य� न हो िस्त्रय� म� कदा�प नह�ं जाने दे ना चा�हये। 10- जो �हन्द ू िस्त्रयां बाहर जाती ह� उनको इकल्ल� कभी नह�ं जाने दे ना चा�हये, झड ुं म� जाव� और बाहर एक मदर् उनके साथ हो, जो �हन्द ू िस्त्रय� व लड़के मज़दरू � करने मस ु लमान �मस्त�रय� व छोटे कारखाने वाल� के यहां जाते ह� उन्ह� वहां नह�ं जाने दे ना चा�हये, क्य��क प्रायः उनके साथ व्य�भचार �कया जाता है और वे ज़बरन मस ु लमान बना �लये जाते ह�। 11- प्रत्येक मिन्दर म� व्यायामशाला अखाड़ा खोलना चा�हये वहां महावीरजी क� तसवीर होना चा�हये और 1 आदमी लाठ� �सखाने वाला भी रहना चा�हये, ग्राम 2 म� सेवकमण्डल बनाना चा�हये और मिन्दर� म� दवाइय� का भी प्रबन्ध 39 | अलामर् बेल

करना चा�हये। प्रत्येक ग्राम म� 15 से 20 वषर् के िजतने युवक ह� उन्ह� कसरत करना, लाठ� चलाना आ�द सीखाने का प्रबन्ध करना चा�हये) (उपरोक्त बात� के अ�त�रक्त प्रत्येक �हन्द ू सभा को अपने आधीन ग्राम� क� �नम्न प्रकार क� सच ू ी अपने पास रखनी चा�हये 1- प्रत्येक ग्राम म� �कस 2 जा�त के �कतने घर ह�। 2– �कतने अनाथ व लावा�रस बच्चे ह�। 3- �कतनी बेवाय� ह� और उसम� से �कतनी बे-सहारे ह�। 4- कौन 2 सा ऐसा पेशा मस ु लमान करते ह� िजसके कारण �हन्दओ ु ं का उनसे संसगर् रहता है । 5- �कतने मं�दर ह�। 6– �कतने मदरसे या पाठशालाय� ह�। 7– �कतने लड़के या लड़�कयां पढ़ते ह�, इत्या�द) | इ�त।

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क्या ख़तरे के घन्टे को नष्ट कर दे ना चा�हये ? श्री राजगोपालाचायर् तथा उन्ह�ं के �वचार वाले कुछ सज्जन� का भी अब

यह� ख्याल है �क मस ु लमान चाहे िजतना अत्याचार �हन्दओ ु ं पर कर� , उन्ह� कुछ

�शकायत तक न करना चा�हये, उनका कहना है �क क्या हजर् है य�द 1 करोड़ �हन्द ू मस ु लमान बन जाव� , हमार� तादाद �फर भी 21 करोड़ रहे गी, पर िजन्ह�ने इस �वषय पर कुछ भी मनन �कया है उनका यह �नश्चय है �क उपरोक्त सज्जन� के �वचार� से सहमत हो जाने पर न केवल 1 करोड़ �कन्तु शीघ्र ह� 7 करोड़ और �फर शेष �हन्द ू जा�त का नाश अ�नवायर् है । ख़्वाजा हसन �नजामी 'दाइये इस्लाम' नामी पुस्तक का मुसलमान� म� छुपे 2 प्रचार करके उन्ह� शीघ्र 1 करोड़ �हन्दओ ु ं को मस ु लमान बनाने क� बहुत सी तरक़�ब� बता रहे ह�। उन तरक़�ब� पर अमल भी शुरू हो गया है पर य�द उन तरक़�ब� से �हन्दओ ु ं को सचेत �कया जाता है तो ऐसी पुस्तक को प्रताप कानपुर नष्ट कर दे ने क� सलाह दे ता है । खैर यह पुस्तक ऐसे �वचार वाल� के �लये नह�ं है , यह पस् ु तक केवल उन के �लये है जो �हन्द ू जा�त के एक 2 बच्चे क� र�ा करना अपना परम कतर्व्य समझता है । पुस्तक क� उपयो�गता का प�रचय इसी से हो सकता है �क केवल 3 �दन म� उसका प्रथम संस्करण 2000 का �नकल गया, 1 पुस्तक भी अपने यहां न रह गई और कई हज़ार के आडर्र इस समय हाथ म� ह�। कुछ का ख्याल चाहे

जो हो पर मेरा �वचार तो एक 2 �हन्द ू बच्चे तक को ख्वाजा साहे ब के हथकण्ड� से सचेत कर दे ने का है । इसी अ�भप्राय से दस ू रा संस्करण 5000 का �नकाल कर =) के बदले =) म� दे ना �नश्चय �कया है । गज ु राती म� 1 सज्जन ने 5000 छपाकर बांटने के �लये आ�ा मांगी है । क्या ह� अच्छा हो �क उदर् ,ू बंगला व मदरासी और �वशेषकर ब्राह्मी भाषा म� भी अनुवाद हो जाव� , क्य��क ब्राह्मी लोग� को मस ु लमान बनाने और उनक� दे �वय� को अपहरण करने के �लये �वशेष रूप से बल �दया गया है । इस संस्करण म� बहुत कुछ संशोधन �कया गया है और जो 2 त्र�ु टयां

प्रथम संस्करण म� �ात हुई उन के दरू करने का भी प्रयत्न �कया गया है । आशा है �क प�हले क� ना� इस संस्करण को भी जनता अपना कर हमारे उत्साह को बढ़ावेगी।

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इतना अल्प मल् ू य केवल इस�लये कर �दया गया है �क िजसम� दानी महाशय सौ 2 पांच 2 सौ लेकर गर�ब �हन्द ू जनता म� �वतरण कर सक�। �नवेदक प्रबन्ध क�ार् आय्यर् सा�हत्य मण्डल, अजमेर.

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