चन्द्रयान उत्सव : चन्द्रयान मिशन - चन्द्रमा पर भारत का अभियान [1.3M]
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Chandrama par Bhaaaarat ka Abhiyaan 1_3M

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कोड

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अक्तबू र 2023 अि न 1945 PD 1T RPS

© रा ट्रीय शैिक्षक अनुसध ं ान और प्रिशक्षण पिरषद् 2023

िवषय

चंद्रयान उ सव

1.0

1.1

एफ

हमारा चद्रं यान

1.2

पी

मेरा यारा चदं ा: रानी की खोज

1.3

एम

चद्रं मा पर भारत का अिभयान

1.4

एस

चद्रं यान: चद्रं मा की ओर यात्रा

1.5

एस

1.6

एस

भारत के चद्रं िमशन की खोज चद्रं मा की ओर और उससे आगे

1.7

एस

भारत का चद्रं िमशन: चद्रं यान-3 को जान

1.8

एचएस

चद्रं मा पर भारत

1.9

एचएस

भारत का अतं िरक्ष िमशन: चद्रं यान

1.10 एचएस

चद्रं यान-3 की भौितकी

अपना चद्रं यान से संबंिधत गितिविधय म भाग लेने के िलए: िविजट कर: www.bhartonthemoon.ncert.gov.in प्रकाशन प्रभाग म सिचव, रा ट्रीय शैिक्षक अनुसंधान और प्रिशक्षण पिरषद,् ी अरिवंद मागर्, नई िद ली 110 016 द्वारा प्रकािशत तथा गीता ऑफ़सेट िप्रंटसर् प्रा. िल., सी–90, एवं सी–86, एवं सी-86, ओखला इडं ि ट्रयल एिरया, फे ़ज़–I, नई िद ली 110 020 द्वारा मिु द्रत ।

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अिधक जानकारी के िलए: ईमेल: [email protected] पीमईिवद्या आईवीआरएस: 8800440559

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चंद्रयान मिशन 

चंद्रमा पर भारत का अभियान मध्य स्‍तर

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चद्रं यान उत्सव

सिहं ावलोकन

क्या आपको यह जानकर गर्व की अनभु तू ि होती है कि भारत चद्रं मा पर उतरने वाला दनिया ु का चौथा राष्ट्र है, और चद्रं मा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापरू ्वक लैंडिंग करने वाला पहला देश है। 23 अगस्त, 2023 को इतिहास में भारत और भारतीय वैज्ञानिक समदु ाय के लिए सबसे गौरवपर्णू दिनों में से एक के रूप में याद किया जाएगा। इस दिन हमारे माननीय प्रधानमत्ं री श्री नरें द्र मोदी ने कहा, “भारत चंद्रमा पर है, हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर है।”

स्रोत— https://indianexpress.com/article/india/pm-modi-address-chandrayaan-3-mission-moon-8906009/

उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों की यह सफलता एक साधारण सफलता नहीं है, बल्कि एक उपलब्धि भी है जो अनतं अतं रिक्ष में भारत की वैज्ञानिक शक्ति का परिचय देती है। आपको यह जानकर खश ु ी होगी कि चद्रं यान-3 की सफलता के पीछे कार्यरत सभी शानदार दिमाग भारत में निर्मित हैं। किसी ने भी किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, जो इन दिनों एक चलन प्रतीत होता है। इस उपलब्धि के साथ कुछ सवाल होंगे जो आपके मन में आएँग।े क्या यह वैज्ञानिक उपलब्धि अभी ही हुई है? क्या यह अतीत में नहीं हुआ था? क्या अतीत में लोगों ने इस बारे में नहीं सोचा था? प्राचीन साहित्य से वैमानिक शास्‍त्र—‘विमान का विज्ञान’ से पता चलता है कि हमारे देश में उन दिनों उड़ने वाले वाहनों का ज्ञान था (इस पसु ्तक में निर्माण, इजं नों की कार्यप्रणालियों और जायरोस्कोपिक सिस्टम के दिमाग चकरा देने वाले विवरण हैं)। वेद भारतीय ग्रंथों में सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। इनमें विभिन्न देवताओ ं को जानवरों, आमतौर पर घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले पहिएदार रथों पर ले जाने का उल्लेख मिलता है, लेकिन ये रथ भी उड़ सकते थे। ऋग्वेद (ॠचा 1.16.47-48) में “यांत्रिक पक्षियों” का विशेष रूप से उल्लेख 2

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चद्रं यान िमशन : चद्रं मा पर भारत का अभियान

किया गया है” उड़ने वाले रथों (रथ) और उड़ने वाले वाहनों (विमान) के विभिन्न उल्लेख हैं, जिनका उपयोग लड़ाई और यद् ु धों में किया गया था। सभी देवताओ ं के पास एक जानवर के रूप में अपना वाहन था, जिसका उपयोग वे एक स्थान से दसू रे स्थान पर यात्रा करने के लिए करते थे। इन स्थानों में पृथ्वी, स्वर्ग, ग्रहों और ‘लोकों’ नामक ब्रह्मांडीय गंतव्य शामिल थे। कहा जाता है कि वाहनों का उपयोग अतं रिक्ष में सहजता से और बिना किसी शोर के यात्रा करने के लिए किया जाता था। ऐसे ही एक विमान—पष्ु ‍पक विमान (शाब्‍दि‍क अर्थ-पष्ु ‍प रथ) का उल्‍लेख वाल्‍मीकी रामायण में मिलता है। यह भगवान के मखु ्य वास्तुकार विश्वकर्मा द्वारा ब्रह्मा के लिए सर्यू की धल ू से बनाया गया था। ब्रह्मा ने इसे कुबेर को दे दिया। जब रावण ने लंका पर अधिकार किया था, तो इसे रावण ने अपने निजी वाहन के रूप में उपयोग किया। विक्रम साराभाई प्राचीन भारतीय साहित्‍य ने हमेशा भारत को एक राष्ट्र के रूप में, अतं रिक्ष विज्ञान के महत्व को समझने में लाभ दिया। आधनि ु क भारत में अतं रिक्ष अनसु ंधान कार्यक्रम की शरुु आत डॉ. विक्रम साराभाई द्वारा की गई थी, जिन्होंने वर्तमान भारतीय अतं रिक्ष अनसु ंधान संगठन (इसरो) की स्थापना में महत्वपर्णू भमि ू का निभाई थी। आज भारत ने वैमानिकी विज्ञान की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, अतं रिक्ष अनसु ंधान में उल्लेखनीय प्रगति की। इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया है और नवीन इतिहास रचा है। अति महत्वाकांक्षी चद्रं यान-3 मिशन 23 अगस्त 2023, को शाम 06:04 बजे (भारतीय समयानसु ार) चद्रं मा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापरू ्वक उतरा, जिससे भारत दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्‍व का प्रथम देश बन गया। चद्रं यान-3 मिशन अत्‍यन्‍त महत्वपर्णू है क्योंकि अभियान का परिणाम वैज्ञानिकों को पृथ्वी की उत्पत्ति, पृथ्वी-चद्रं मा प्रणाली और सौरमडं ल कै से बने और विकसित हुए और पृथ्वी के इतिहास और संभवतः भविष्य को प्रभावित करने में क्षुद्रग्रह प्रभावों की भमि ू का, चद्रं मा की गतिशीलता आदि की नई समझ प्रदान करे गा। चद्रं मा हमें भविष्य में वहाँ पाए जा सकने वाले प्राकृ तिक संसाधनों, जैसे—पानी, हीलियम-3 और दर्ल ु भ पृथ्वी तत्वों के आधार पर आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। चद्रं मा के दक्षिणी ध्रुव में रुचि बढ़ रही है क्योंकि यह पानी की बर्फ खोजने की सबसे बड़ी क्षमता प्रदान करता है, जिसका उपयोग अतं रिक्ष यात्रियों की सहायता करने और रॉके ट ईधन ं बनाने के लिए किया जा सकता है। माना जाता है कि बर्फ में यौगिक ठोस-अवस्था में होते हैं जो आमतौर पर चद्रं मा पर कहीं ओर गरम परिस्‍थ‍ितियों में पिघल जाते हैं। इन यौगिकों का अध्ययन चद्रं मा के 3

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चद्रं यान उत्सव

साथ-साथ ही पृथ्वी और सौर मडं ल के इतिहास में अतं र्दृष्टि प्रदान कर सकता है। च‍द्रं मा पर चोटियाँ भी हैं जहाँ हर समय सर्यू का प्रकाश मौजदू होता है तथा चद्रं गतिविधियों की सहायता हेतु बिजली पैदा करने के लिए उत्कृष्ट अवसर पैदा कर सकती हैं। चद्रं यान-3 मिशन की सफलता ने निश्चित रूप से एक प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में भारत का कद बढ़ाया है। चद्रं यान-3 की सफल लैंडिंग की सख ु द स्‍मृति में 23 अगस्त को प्रत‍िवर्ष राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। अतं रिक्ष में मानवता और सम्‍पूर्ण विश्‍व के लिए बहुत-सी चीजें हैं। देश को आगे बढ़ने और भविष्य में विश्‍व का नेततृ ्व करने के लिए इस विरासत की आवश्यकता है।

चद्रं मा की सतह पर विक्रम लैंडर के प्रज्ञान रोवर से दृश्य स्रोत— https://www.isro.gov.in/chandrayaan_3_Gallery.html

भारत के चंद्रमा मिशन का इतिहास चद्रं मा पर भारत की यात्रा उसके अतं रिक्ष अन्वेषण प्रयासों का एक महत्वपर्णू हिस्सा रही है। भारत के चद्रं मा मिशन का इतिहास मखु ्य रूप से चद्रं यान कार्यक्रम के आसपास घमू ता है। चंद्रयान-1 (2008) चद्रं यान-1 भारत का पहला चद्रं मिशन था, जिसे भारतीय अतं रिक्ष अनसु ंधान संगठन (इसरो) द्वारा 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था। अतं रिक्ष यान में 11 वैज्ञानिक उपकरण थे, जिसमें इम्पैक्ट प्रोब भी था और इसका प्राथमिक उद्देश्य चद्रं मा की सतह का हाई रिजॉल्श यू न रिमोट सेंसिंग करना था। चद्रं यान-1 ने एक महत्वपर्णू खोज की जब

चद्रं यान 1 – ऑर्बिटर स्रोत— https://www.isro.gov.in/Chandrayan_1_Gallery.html

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चद्रं यान िमशन : चद्रं मा पर भारत का अभियान

उसे चद्रं मा की सतह पर पानी के अणओ ु ं के सबतू मिले। आइए इसरो की वेबसाइट से चद्रं यान-1 के बारे में अधिक जानकारी जटात ु े हैं। दर्भा ु ग्य से, चद्रं यान-1 के साथ संचार अगस्त 2009 में खो गया था, और मिशन को सितंबर 2009 में समाप्त घोषित कर दिया गया था। चंद्रयान-2 (2019) 22 जल ु ाई 2019 को लॉन्च किया गया चद्रं यान-2, भारत का दसू रा चद्रं मिशन था। चद्रं यान-1 के विपरीत, जो मखु ्य रूप से एक ऑर्बिटर था, चद्रं यान-2 को तीन घटकों से मिलकर बनाया गया था— ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर। इसका प्राथमिक लक्ष्य चद्रं मा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र का अध्ययन करना और चद्रं स्थलाकृ ति, खनिज विज्ञान और एक्सोस्फीयर पर विस्तृत शोध करना था। लैंडर, विक्रम को लैंिडंग के दौरान उतरने के दौरान चनु ौतियों का सामना करना पड़ा और इसरो के साथ इसका संपर्क टूट गया जबकि ऑर्बिटर मल्यवा ू न डेटा भेजना जारी रखा। परिणामस्‍वरूप, रोवर प्रज्ञान को योजना के अनसु ार चद्रं मा की सतह पर स्‍थािपत नहीं किया जा सका।

चंद्रयान-2 से हमने क्या सीखा? विक्रम लैंडर जब चद्रं मा से के वल 2.1 किलोमीटर ऊपर था उस समय उसका धरती से संपर्क टूट गया और मिशन अपने अतं िम चरण में विफल हो गया। लेकिन इस विफलता का यह अर्थ नहीं है कि हम चद्रं मा पर अतं रिक्ष यान उतारने में विफल रहे और सभी द्वार बंद हो गए। इस विफलता से वैज्ञािनकों को यह बात समझ में आई कि कहाँ किस जगह बदलाव किया जाना है और क्‍या योजना एकदम सही काम करे गी। इससे यह प्रमाणित ़ होता है कि असफलता, सफलता का आधार स्‍तंभ है। यह हम सभी के जीवन के लिए महत्वपर्णू पाठ है।

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चद्रं यान उत्सव

चंद्रयान-3 (2023) 14 जल ु ाई 2023 को लॉन्‍च किया गया चद्रं यान-3 भारत का तीसरा चद्रं यान मिशन था। इसे सतीश धवन अतं रिक्ष कें द्र, श्रीहरिकोटा, नेल्लोर, आध्रं प्रदेश से लॉन्च किया गया था। मिशन में ‘विक्रम’ नाम का एक चद्रं लैंडर और ‘प्रज्ञान’ नामक एक चद्रं रोवर शामिल है, जो 2019 में चद्रं यान-2 पर लॉन्च किए गए उपकरणों के समान हैं। अतं रिक्ष यान ने चद्रं मा की कक्षा में 5 अगस्त 2023 को प्रवेश किया और लैंडर ने चद्रं मा के दक्षिण ध्रुव पर 23 अगस्त की शाम 06:04 मिनट पर लैंड किया। भारत को चद्रं मा पर सफलतापरू ्वक पहुचँ ने वाला चौथा देश और चद्रं मा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर पहुचँ ने वाला प्रथम देश बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। इसकी सरु क्षित लैंडिंग के बाद, ‘प्रज्ञान’ ने चद्रं मा की सतह पर लैंडर ‘विक्रम’ से 100 मीटर से अधिक की दरू ी तय की और अपने कार्य परू े किए। आइए भारत के मानचित्र पर सतीश धवन अतं रिक्ष कें द्र का पता लगाएँ। मिशन का मखु ्य लक्ष्य चद्रं मा की सतह पर सरु क्षित और सॉफ्ट लैडिंग के लिए लैंडर को कार्यान्वित और चद्रं मा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने के लिए चद्रं मा की सतह पर उपलब्ध पदार्थों पर प्रयोग करना है।

ग‍तिविधि‍1 चद्रं यान -3 मिशन की लागत कुछ बॉलीवडु फिल्मों की तल ु ना में कम थी। (क) चद्रं यान-3 बनाने में उपयोग की जाने वाली स्वदेशी सामग्रियों की सचू ी बनाएँ, चद्रं यान- 3—एक बजट-अनक ु ू ल मिशन। (ख) चद्रं मा पर अपने अभियान में अमेरिका, रूस और चीन द्वारा किए गए व्यय का पता लगाएँ और फिर हमारे चद्रं यान में किए गए खर्च के साथ तल ु ना करें ।

इसका प्राथमिक लक्ष्य चद्रं मा की सतह पर सरु क्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए एक लैंडर को तैयार करना है तािक चद्रं मा की सरं चना को बेहतर ढंग से समझने के लिए चद्रं सतह पर उपलब्ध सामग्रियों पर प्रयोग कर सके ।

क्या आप जानते हैं कि चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में कै से भेजा गया और इसके गंतव्य तक निर्देशित किया गया ? चद्रं यान-3 में तीन मखु ्य घटक शामिल हैं — एक प्रणोदन (प्रोपल्‍शन) मॉड्यल ू , लैंडर और रोवर। हमारे प्रक्षेपण यान (एलवीएम–3) ने चद्रं यान-3 को पृथ्वी की सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है। स्पष्टीकरण वीडियो लिंक — https://youtu.be/8uCMhryzH3s?si=_Ot6z3BxNdXxME_N स्रोत — चलो बढ़ते हैं क्या आप जानते हैं कि चद्रं यान-3 मिशन में अतं रिक्ष यान द्वारा अतं रिक्ष में कौन-से वैज्ञानिक उपकरण ले जाए गए थे? 6

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चद्रं यान िमशन : चद्रं मा पर भारत का अभियान

एक अतं रिक्ष यान अतं रिक्ष में पेलोड या वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाता है। जब यह पृथ्वी या खगोलीय पिंड के चारों ओर घमू ता है, तो इसे कृ त्रिम उपग्रह कहा जाता है। चद्रं यान-3 (सीएच -3) में एक लैंडर (विक्रम) है, जिसे चद्रं मा की सतह पर धीरे से उतरने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और एक रोवर (प्रज्ञान) है जिसे लैंडिंग के बाद चद्रं मा के स्थानों को खोजने के लिए तैयार किया गया है। लैंडर और रोवर को चद्रं मा की ओर लेकर जाने के लिए, सीएच-3 एक प्रणोदन (प्रोपल्‍शन) मॉड्यल ू (पीएम) पर निर्भर करता है।

पेलोड और उनके वैज्ञानिक परिणाम चद्रं यान-3 में कुल सात वैज्ञानिक उपकरण हैं। लैंडर में चार उपकरण हैं, अर्थात— ् i. आईएलएसए — एलईओएस द्वारा विकसित एक सिस्मोमीटर। ii. रंभा-एलपी — अतं रिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला एसपीएल/ वीएसएससी द्वारा निर्मित, डिजाइन और वितरित किया गया एक लैंगमइु र प्रोब। iii. सीएचएएसटीई (CHASTE) — एसपीएल / वीएसएससी द्वारा निर्मित और वितरित एक थर्मल जाँच। iv. एलआरए— नासा से एक रे ट्रोरिफ्लेक्टर। रोवर में दो उपकरण हैं, अर्थात— ् i. एपीएक्सएस — भौतिक अनसु धं ान प्रयोगशाला (पीआरएल) द्वारा प्रदान किया गया एक एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर। ii. लिब्‍स (LIBS) — एक लेजर-आधारित स्पेक्ट्रोमीटर, जो LEOS द्वारा प्रदान किया गया है। प्रोप्‍लुश्‍ान मॉड्यल ू में यआ ू रएससी द्वारा विकसित SHAPE (एक स्‍पेक्‍ट्रोपोलर मीटर) उपकरण है।

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चद्रं यान उत्सव

क्या आप पता लगा सकते हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान में निम्नलिखित सक्षि ं प्त नाम का क्या अर्थ है? परिवर्णी इसरो (ISRO) एलवीएम 3 (LVM3) इल्सा(ILSA) लियोस (LEOS) रंभा-एलपी (RAMBHA-LP) एसपीएल/वीएसएससी (SPL/VSSC) सीएचएएसटीई (CHASTE) एलआरए (LRA) नासा (NASA) एपीएक्सएस (APXS) पीआरएल (PRL) लिब्स (LIBS) एसएचएपीई (SHAPE) यआ ू रएससी (URSC)

पूर्ण रूप

चंद्रमा पर प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगों की योजना का अध्ययन

• • • • •

भक ू ं पीय घटनाओ ं के कारण चद्रं मा की सतह पर कंपन, और / या उल्कापिडं ों, रोवर गति‍िवधि आदि के प्रभाव के कारण; निकट-सतह प्लाज्मा वातावरण; 10 सेमी की गहराई तक तापमान और तापीय चालकता; लैंडिंग साइट और उसके आसपास की मौलिक संरचना; और चद्रं कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय हस्ताक्षर।

प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर क्या पाया? चद्रं यान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चद्रं मा की सतह पर लैंडर ‘विक्रम’ से 100 मीटर से अधिक की दरू ी तय कर चक ु ा है। लैंडर और रोवर, एक चद्रं दिवस (14 पृथ्वी दिन) के मिशन जीवन वाले वैज्ञानिक पेलोड हैं जिसने चद्रं मा की सतह पर प्रयोगों को अजं ाम दिया है। भारतीय अतं रिक्ष अनसु ंधान संगठन (इसरो) के अनसु ार, प्रज्ञान रोवर पर लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईबीएस) उपकरण ने चाँद पर एल्मयू ीनियम, सल्फर, कै ल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की खोज की है। लेकिन चद्रं यान-3 का एक बड़ा लक्ष्य पानी की खोज करना था। वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में विशाल 8

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चद्रं यान िमशन : चद्रं मा पर भारत का अभियान

गड्ढे हैं, जो स्थायी रूप से छाया में हैं, िजनमें बर्फ की मौजदू गी है, िजससे भविष्य में चद्रं मा पर मानव निवास में सहायता प्राप्‍त हो सकती है। चद्रं मा की सतह पर किए गए विभिन्न परीक्षणों ने चद्रं मा के भक ू ं प, चद्रं मा की सतह के माध्यम से गर्मी की गति का पता लगाया तथा चद्रं मा के चारों ओर मौजदू प्लाज्मा वातावरण एवं चद्रं मा और पृथ्वी के बीच गरुु त्वाकर्षण को समझने में मदद की।

क्या आप जानते हैं? माननीय प्रधानमत्ं री श्री नरें द्र मोदी ने चद्रं यान-3 लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव-शक्ति’ रखा है। शिव-शक्ति नाम हिदं ू पौराणिक कथाओ ं से लिया गया है। अपने माता-पिता/बड़ों के साथ चर्चा करें और ‘शिव-शक्ति’ शब्द के महत्व को समझें।

मिशन को सफल बनाने वाले नायकों को जानें (सफलता के पीछे वैज्ञानिक समुदाय) इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया है और इतिहास रचा है। अति महत्वाकांक्षी चद्रं यान-3 मिशन 23 अगस्त को शाम 06:03 बजे चद्रं मा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापरू ्वक उतरा, जिससे भारत दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दनिया ु का पहला देश बन गया। भारत न के वल चद्रं मा पर उतरने वाला दनिया ु का चौथा राष्ट्र है, बल्कि यह चद्रं मा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापरू ्वक लैंडिंग करने वाला पहला देश भी है। 23 अगस्त का दिन इतिहास में भारत और वैज्ञानिक समदु ाय के लिए सबसे गौरवपर्णू दिनों में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा।

चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे मेधावी मस्तिष्‍क स्रोत—https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/scientists-behind-chandrayaan3-success-1692796298-1

1.

एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो



एस. सोमनाथ ने टीके एम कॉलेज ऑफ इजं ीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इजं ीनियरिंग में बीटेक किया है और बैंगलोर में आईआईएस (भारतीय विज्ञान संस्थान) से एयरोस्पेस इजं ीनियरिंग में मास्टर डिग्री (एमटेक) की है।

2.

पी. वीरामुथुवेल, समग्र परियोजना निदेशक, चंद्रयान-3



पी. वीरामथु वु ेल चद्रं यान-3 मिशन के मखु ्य वैज्ञानिक हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी-एम) से पीएच डी डिग्री प्राप्त की है।

3.

एस. उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष कें द्र



एस. नायर के रल विश्वविद्यालय से संबद्ध मार अथानासियस कॉलेज ऑफ इजं ीनियरिंग से मैकेनिकल इजं ीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्‍त की है; आईआईएससी, बेंगलरुु से एयरोस्पेस इजं ीनियरिंग में मास्टर और मद्रास चेन्नई से मैकेनिकल इजं ीनियरिंग में पीएच डी की डिग्री प्राप्‍त की है। 9

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चद्रं यान उत्सव

4.

बी.एन. रामकृष्ण, निदेशक, आईएसटीआरएसी बी.एन. रामकृ ष्ण ने विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्‍त की है। वह अतं रिक्ष यान के नेविगेशन और कक्षा निर्धारण के क्षेत्रों में एक विशेषज्ञ हैं।

5.

एस. मोहन कुमार, चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक एस. मोहन कुमार तिरुवनंतपरु म, के रल में विक्रम साराभाई अतं रिक्ष कें द्र (वीएसएससी) में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। ये भारतीय प्रौद्योगिकी ससं ्थान (आईआईटी), मद्रास से स्नातक हैं और इन्‍होंने भारतीय विज्ञान ससं ्थान (आईआईएससी), बैंगलोर से एयरोस्पेस इजं ीनियरिंग में पीएच डी की उपाधि प्राप्‍त की है।

6.

एम. शंकरन, निदेशक, यूआर राव उपग्रह कें द्र एम. शक ं रन ने भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु से भौतिकी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।

7.

वी. नारायणन, निदेशक, लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर प्रतिष्ठित वैज्ञानिक वी. नारायणन वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (तरल प्रणोदन प्रणाली कें द्र-एलपीएससी) के निदेशक हैं, जो भारतीय अतं रिक्ष अनसु ंधान संगठन (इसरो) के प्रमख ु कें द्रों में से एक है। ये 1984 में इसरो से जड़ेु और कें द्र के निदेशक बनने से पहले इन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। उनके योगदान ने भारत को जटिल और उच्च प्रदर्शन क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली वाले दनिया ु के छह देशों में से एक बनाने के साथ-साथ उसे इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बना दिया।

8.

कल्पना कलाहस्ती, चंद्रयान-3, इसरो की उप-परियोजना निदेशक कल्पना कालाहस्ती ने मद्रास विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और सचं ार इजं ीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वह उप-परियोजना निदेशक थी, जिन्होंने परियोजना के सक्ू ष्म बारीकियों पर विशेष ध्यान दिया।

9. मुथैया वनिता, उप-निदेशक, यूआर राव सैटेलाइट सेंटर मथु ैया वनिता एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इजं ीनियर हैं, वे कॉलेज ऑफ इजं ीनियरिंग, गिंडी, चेन्नई से स्नातक हैं। वह इसरो में पहली महिला परियोजना निदेशक हैं, और एक अतं रग्रहीय मिशन का नेततृ ्व करने वाली पहली महिला भी हैं। . 10. नंदिनी हरिनाथ, अंतरिक्ष यान सच ं ालन क्षेत्र इसरो टे लीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क , इसरो की उप-निदेशक नंदिनी हरिनाथ ने मिशन डिजाइन और अतं रिक्ष यान संचालन में विशेषज्ञता हासिल है। अपने कार्यकाल के दौरान इन्‍होंने 20 से अधिक उपग्रह मिशनों में प्रमख ु पदों पर कार्य किया है। वर्तमान में, इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क सेंटर 10

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चद्रं यान िमशन : चद्रं मा पर भारत का अभियान

(आईएसटीआरएसी) में उप-निदेशक के रूप में काम कर रही हैं। इसके अतिरिक्त इन्‍होंने इसरो के पहले हाई-रिज़ॉल्श यू न रडार उपग्रह समहू , रिसैट 2बी �ृंखला के मिशन निदेशक के रूप में उपग्रहों के शरू ु से अतं तक संचालन में टीम का नेततृ ्व किया। 11. मोटामरी श्रीकातं , मिशन निदेशक, चद्रं यान-3 और आदित्य-एल-1 एलएमपीएडी एमडीए, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, इसरो, बैंगलुरु। मिशन डिजाइन और अतं रिक्ष यान मिशन सचं ालन के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ इसरो में 19 वर्षों से काम कर रहे हैं। विभिन्न निम्न पृथ्वी कक्षा मिशन और अतं रग्रहीय मिशन सहित 20 से अधिक उपग्रह मिशनों के लिए काम किया। मगं ल ऑर्बिटर मिशन के अतं रिक्ष संचालन प्रबंधक थे, चद्रं यान-2 के उप मिशन निदेशक थे। और वर्तमान में चद्रं यान-3 और आदित्य एलआई मिशन निदेशक हैं।

उपरोक्‍त व्यक्तित्वों ने चद्रं यान-3 की ऐतिहासिक सफलता के साथ अतं रिक्ष अनसु ंधान में विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन करने में एक प्रासंगिक भमि ू का निभाई।

मिशन में महिलाओ ं का योगदान (नारी शक्ति) महिला वैज्ञानिक/इजं ीनियर इसरो के प्रत्येक कार्यक्रम में योगदान दे रही हैं। देश की नारी शक्ति (100 से अधिक महिला कर्मचारियों) ने चद्रं यान-3 की अवधारणा, डिजाइन, परीक्षण और निष्पादन में महत्वपर्णू भमि ू का निभाई है, उन्होंने इसमें मखु ्य भमि ू काएँ निभाई हैं—

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समग्र अतं रिक्ष यान के घटक, चद्रं यान-3 की प्राप्ति और टीम प्रबंधन; अतं रिक्ष यान का संयोजन, एकीकरण और परीक्षण; चद्रं यान-3 मिशन संचालन के लिए ग्राउंड सेगमेंट की स्थापना और निष्पादन; स्वायत्त सरु क्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की क्षमता सनिश् ु चित करने के लिए लैंडर नेविगेशन मार्गदर्शन और नियंत्रण सिमल ु ेशन करना; और लेजर अल्टीमीटर, लेजर डॉपलर वेलोसिमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कै मरा जैसे महत्वपर्णू सेंसर का विकास और डिलीवरी जो महत्वपर्णू लैंडर पावर डिसेंट चरण के दौरान नेविगेशन में महत्वपर्णू भमि ू का निभाते हैं आदि।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों और प्रवचनों में वैमानिकी सहित विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक ज्ञान के खजाने शामिल हैं (जिनसे यवा ु पीढ़ी विरासत में मिली धरोहर पर गर्व का अनभु व कर सकती है और इस ज्ञान प्रणाली को नए उपयोगों के लिए आगे ले जा सकती है)। भारत ने अतं रिक्ष अनसु धं ान में उल्लेखनीय प्रगति की है; इसरो द्वारा किए गए अत्यधिक सफल और लागत प्रभावी प्रयासों के लिए आभार। 11

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चद्रं यान उत्सव

स्रोत— https://www.indiatimes.com/trending/human-interest/desis-celebrate-women-scientists-behind-the-successof-chandrayaan-3-612911.html

ग‍तिविधि 2 आप चद्रं यान-3 के लिए एक मॉडल तैयार कर सकते हैं ग‍तिविधि 3 चंद्रयान-3 पर फोटो एल्बम शिक्षार्थियों को चद्रं यान-3 मिशन की तस्वीरें एकत्र करने के लिए कहें और एक एल्‍बम तैयार करें । प्रत्येक तस्वीर में एक विस्तृत कै प्शन होना चाहिए। सर्वश्ष्ठरे एल्बम का चयन किया जा सकता है। एक ई-फ्लिप बक ु तैयार की जा सकती है और स्कू ल की वेबसाइट पर अपलोड की जा सकती है। आप, लोगों की प्रतिक्रियाओ ं को एकत्रित करके एक छोटा सा वीडियो तैयार कर सकते हैं, या कै से भारतीयों ने एड्ं रॉइड फोन के माध्यम से अतं रिक्ष विज्ञान में की गई तकनीकी प्रगति से गर्व की अनभु तू ि की है।

चद्रं मा पर भारत के अभियान की सफलता ने नई आशाओ,ं आकांक्षाओ ं और राष्ट्रीय गौरव पर ध्यान के न्द्रित किया है। भारत ने प्राचीन भारत की तरह अपने वैज्ञानिक ज्ञान प्रभतु ्व को पनु ः प्राप्त कर लिया। अमेरिका, चीन और रूस द्वारा अतं रिक्ष के प्रभतु ्व का अतं हुआ। चद्रं यान-3 मिशन की सफलता ने चद्रं मा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने और इसकी संभावनाओ ं का पता लगाने के लिए, चद्रं मा की सतह पर उपलब्ध पदार्थो पर प्रयोगों का संचालन करने में भारतीय वैज्ञानिकों की मदद की। ये प्रयास ब्रह्मांड की गतु ्थियों को समझने में मदद करते हैं। 12

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अक्तबू र 2023 अि न 1945 PD 1T RPS

© रा ट्रीय शैिक्षक अनुसध ं ान और प्रिशक्षण पिरषद् 2023

िवषय

चंद्रयान उ सव

1.0

1.1

एफ

हमारा चद्रं यान

1.2

पी

मेरा यारा चदं ा: रानी की खोज

1.3

एम

चद्रं मा पर भारत का अिभयान

1.4

एस

चद्रं यान: चद्रं मा की ओर यात्रा

1.5

एस

1.6

एस

भारत के चद्रं िमशन की खोज चद्रं मा की ओर और उससे आगे

1.7

एस

भारत का चद्रं िमशन: चद्रं यान-3 को जान

1.8

एचएस

चद्रं मा पर भारत

1.9

एचएस

भारत का अतं िरक्ष िमशन: चद्रं यान

1.10 एचएस

चद्रं यान-3 की भौितकी

अपना चद्रं यान से संबंिधत गितिविधय म भाग लेने के िलए: िविजट कर: www.bhartonthemoon.ncert.gov.in प्रकाशन प्रभाग म सिचव, रा ट्रीय शैिक्षक अनुसंधान और प्रिशक्षण पिरषद,् ी अरिवंद मागर्, नई िद ली 110 016 द्वारा प्रकािशत तथा गीता ऑफ़सेट िप्रंटसर् प्रा. िल., सी–90, एवं सी–86, एवं सी-86, ओखला इडं ि ट्रयल एिरया, फे ़ज़–I, नई िद ली 110 020 द्वारा मिु द्रत ।

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अिधक जानकारी के िलए: ईमेल: [email protected] पीमईिवद्या आईवीआरएस: 8800440559

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